पौड़ी जनपद के शिक्षकों ने गढ़वाली भाषा को बच्चों के बीच लोकप्रिय करने को कसी कमर..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चडीगांव पौड़ी में पाँच दिवसीय गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी प्रार्थना सभा कार्यशाला दिनांक 20 दिसंबर से 24 दिसम्बर 2019 तक पौड़ी जिले के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल के आदेशानुसार आयोजित की गयी।इस कार्यशाला के कार्यक्रम समन्वयक डॉ महावीर कलैठा और सेवारत प्रशिक्षण प्रभारी जगमोहन कठैत ने कहा कि पहाड़ की परम्परा को जागृत रखने और पहाड़ के वाद्य यंत्रों ढोल-दमाऊ, मसुकबाज, थाली, हुड़का आदि वाद्ययंत्रों को संरक्षित करने के लिए यह पहल की गयी है,जो आज हमारी संस्कृति से विलुप्त होते जा रहे हैं।
जिले के कई शिक्षकों ने गढवाली, कुमाऊंनी, जौनसारी, प्रार्थना सभा रंग मंच कार्यशाला मे स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल-दमाऊ मसुकबाज, डौंर-थाली, हारमोनियम, तबला के साथ स्वरचित रचनाओं सहित गढ़वाली प्रार्थना, समूह गान का गायन किया,डायट की ओर से माड्यूल निर्माण के लिए रिकार्डिंग भी की गई, जिसमें राइका जयहरीखाल के शिक्षक दिनेश पाठक द्वारा रचित प्रार्थना “सुण हे विधाता, तु हमरि पुकारा”, इंटर कॉलेज दिउला पौखाल, दुगड्डा की डॉo अर्पणा रावत की प्रार्थना “तेरी वन्दना करला…तेरा ध्यान धरला”, रा.पू.मा.वि. गूमखाल द्वारीखाल की सरिता मैन्दोला की प्रार्थना “सुर की देवी शारदा मां यनु वर दे”, रा.प्रा. वि. मरगाँव, कल्जीखाल के सुधीर डोबरियाल का समूह गान “दैणु ह्वेजा रै उत्तराखंड तू,दैणु ह्वेजा रै” का लय, ताल, धुन के साथ गायन किया गया,जल्द ही इन प्रार्थनाओं का पूरे पौड़ी जिले के सभी विद्यालयों में गायन किया जाएगा। संस्थान ने इसकी शुरुआत के लिए पौड़ी जिले के राo प्राo विद्यालय काण्डा, कल्जीखाल एवं राoइoकाoधुमाकोट, नैनीडांडा को चुना है।