अफसर बनना अवसर की बात है और अफसर बनकर अवसर ढूंढना बड़ी बात है लेकिन सबसे बड़ी बात होती है अफसर की बीवी बनना।
हमारा देश प्रतिभाओं की नर्सरी है लेकिन उन प्रतिभाओं में चुनिंदा ही होते है जिन्हें अफसर बनकर पुष्पित होने का मौका मिल पाता है। युवा अवस्था से किताबों से दोस्ती करते हुए और कोचिंग सेन्टरों में कई वर्षों की तपस्या के बाद यदि अफसर बन भी गए तो आगे चुनौतियां कम नही है। अफसर बनकर सरकार की विशेष कृपा के लिए भी अवसर ढूंढने पड़ते है और यदि सरकार की कृपा मिल गई तो भी कई तरह के अवसर ढूंढकर पद-प्रतिष्ठा बनाये रखना चुनौती से भरा हुआ काम है। अफसर कदम-कदम पर अवसर ही ढूंढता रहता है। इन सब स्थितियों से सिद्ध होता है कि अफसर बेचारा होता है। लेकिन आप असमजंस में पड़ गए होगें कि फिर अफसर से बड़े ठाठ-बाट किसके हो सकते हैं?जवाब है कि अफसर से ज्यादा ठाठ-बाट पाने के लिए सबसे कठिन परीक्षा होती है- अफसर से विवाह तय होना। इतने पापड़ बेलने वाले अफसर की बीवी बनना सबसे चुनौतीभरा काम है। इस परीक्षा में कोई पास हो जाये तो फिर जीवन के संघर्ष जैसे एक पल में समाप्त। अफसर की बीवी का संघर्ष अफसर जैसा, जीवनपर्यंत चलने वाला नही होता है।अफसर को जीवनभर अवसर ढूंढने पड़ते हैं लेकिन अफसर की बीवी को एक अवसर मिलने के बाद कोई अवसर ढूंढने की आवश्कता नही पड़ती है। उसका जीवन हमेशा सुख में महकता है। उसे फूल की खुश्बू चाहिए तो गुलदस्तों की बौंछार हो जाती है, उसे स्वादिष्ट व्यंजनों की चाहत होती है तो हलवाईयों की लाइन लग जाती हैं, उसका बदन दुखने लगे तो घर, स्पा बन जाता है, उसका ब्लड प्रेशर भी बढ़े जाये चिकित्सकों की फौज खड़ी हो जाती है। उसके लिए हर छोटे-बड़े सुख प्राप्त करना उल्टे हाथ का काम होता है क्योंकि उसके पास एक ही अल्लादीन का चिराग है जिसे हम ‘अफसर’ कहते हैं।अफसर की बीवी बनने के लिए शायद इस जन्म के पुण्य और पूर्व जन्म के पुण्य दोनों का लेखा-जोखा देखा जाता होगा तब यह सुख मिलता है, शायद धरती पर इस सुख को पाने के लिए देवताओं की कृपा मिलती होगी इसलिए देवता उसे कहते होगें- ‘तुम पृथ्वी पर परमसुख की अधिकारिणी होगी और तुम्हें धरती पर किसी की कृपा की आवश्कता नही पड़ेगी, लेकिन तुम्हें एक परीक्षा में पास होना होगा।’ जब वह ‘अफसर की बीवी’ बनने की परीक्षा में पास होती है तब वह सुख की अधिकारिणी के रूप में अफसर के घर विराजित हो जाती है और जीवनभर सुख भोगती है।