
प्रदेश मे उच्च शिक्षा में पारदर्शिता खत्म,एबीवीपी सम्मेलन में कुलपतियों ने ठोकी ताली!
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
प्रदेश में शिक्षा के बुरे हाल है, प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की स्थिति सुधारने में सरकार विफल है,जिन हाथों में उच्च शिक्षा की कमान है वे बीजेपी के सहयोगी छात्र संगठन एबीवीपी के सम्मेलनों में मसगूल हैं, सोचिए जब प्रदेश के दो बड़े विश्वविद्यालयों के कुलपति अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रान्तीय अधिवेशनों में ताली ठोक रहे हैं तो उनसे अनुशासन और पारदर्शिता की क्या उम्मीद की जा सकती है।
पिछले सप्ताह देहरादून मे चल रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रान्तीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में राज्य के दो सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की उपस्थिति पर काॅग्रेंस ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है, काॅग्रेंस ने उनकी सक्रिय भागीदारी पर राज्यपाल से उक्त मामले का संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की माँग की है,काॅग्रेंस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश काॅग्रेंस के उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने कहा कि राज्य के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय और तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति सत्ताधारी दल के अधिवेशन में न केवल उपस्थित रहे,बल्कि उन्होंने सक्रिय रूप से अधिवेशन में भागीदारी भी निभाई,धस्माना ने कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी के छात्र संगठन के मंच पर जाकर कार्यक्रम में हिस्सेदारी करना व भाषण देना सेवा नियमावली के विरूद्ध है,तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ एनएस चौधरी एवं श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ पी.पी. ध्यानी ने जिस तरह इस अधिवेशन में भागीदारी की है,उससे राज्य में गलत परंपरा की शुरूआत की गयी है,गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य में इन दोनों विश्वविद्यालयों का विवादों से पुराना नाता रहा है,जँहा नियुक्तियों से लेकर एडमिशन, निमार्णकार्य आदि में कई भ्रष्टाचार के मामले पहले भी प्रकाश में आये हैं,ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि ये विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान से ज्यादा राजनीतिक अखाड़ों की तरह काम करते हैं।