देवप्रयाग के निकट सौड़ के रेलवे प्रभावितों ने मुआवज़े की माँग को लेकर रेलवे का काम रोका !..

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देवप्रयाग के निकट सौड़ के रेलवे प्रभावितों ने मुआवज़े की माँग को लेकर रेलवे का काम रोका !..

जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना का काम जनपद पौड़ी गढ़वाल के सौड़ गाँव में प्रभावितों ने रोक दिया। प्रभावितों ने रेलवे व प्रशासनिक अधिकारियो पर वादा खिलाफ़ी का आरोप लगाते यहाँ सभी मशीनों को रोकते मजदूरों को बाहर कर दिया।वार्ता के लिए किसी सक्षम अधिकारी के नहीं आने से प्रभावित काफी आक्रोशित भी रहे,मालूम हो कि बीते मई माह में सौड़ गाँव वासी कुछ शर्तो के साथ दो माह तक रेलवे परियोजना का काम जारी रखने पर सहमत हुये थे,लेकिन दो माह से अधिक गुजर जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने से सोमवार को आक्रोशित ग्रामीणों ने रेलवे संघर्ष समिति के बैनर तले यहाँ परियोजना का काम रुकवा दिया,दो माह पहले

एसडीएम पौड़ी एस एस राणा, रेलवे परियोजना प्रबन्धक ओम प्रकाश मालगुडी,नायब तहसील दार पीपीएस रावत,कानूनगो सुदामा रावत की टीम सौड़ गाँव पहुची थी,उनके द्वारा ग्रामीणों से अधिग्रहित भूमि पर रेलवे का काम नहीं रोकेने की अपील की गयी थी,काफी मनाने के बाद ग्रामीण उनसे वार्ता को तैयार हुए थे।,जिसमें पाँच बिदुओ पर सहमति बनने के बाद ग्रामीणों द्वारा उन पर कार्यवाही हेतु दो माह का समय दिया गया था। रेलवे संघर्ष समिति के अर्जुन सिंह,परवीन सिह,अरविंद जुयाल,गिरीश टोडरिया ने रेलवे व प्रशासन से हुए लिखित समझौता की जानकारी देते बताया कि हाईकोर्ट द्वारा सौड़ गाँव में रेलवे की ओर से अधिग्रहित भूमि का तय मूल्य स्वीकार किये जाने,पेड़ कटान का भुगतान ग्रामीणों को उनके लाभ अनुसार दोनों सूचियों से किये जाने,जिन भूमिधरों का मामला कोर्ट में लम्बित नहीं है उन्हें दो माह में तय पाँच व साढे पाँच लाख का मुआवजा देने, रेलवे में प्रभावितों को नौकरी दिये जाने, रेलवे द्वारा स्थानीय वाहनों ट्रैक्टरों आदि को नियमानुसार वरीयता से किराये पर लिए जाने पर सहमति बनी थी।रेलवे का काम रोकने वालों में ,विजयसिह, राहु, गिरीश टोडरिया, सुदर्शन शाह, वीरेंद्र असवाल,विपिन टोडरिया,अर्जुन सिह,राखी देवी दीपक सिह,चित्रा देवी,दुर्गि देवी, सपन सिह आदि ग्रामीण शामिल थे।सारे घटनाक्रम में देवप्रयाग बाह बाजार थानाध्यक्ष संदीप लोहान के नेतृत्व में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

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