हाई कोर्ट के प्रतिबन्ध के बाद टिहरी झील में जल क्रीड़ा कारोबारी अपने भविष्य के प्रति आशंकित…
अरुण नेगी,जागो उत्तराखण्ड,नई टिहरी
उत्तराखण्ड हाई कोर्ट के फैसले से कोटी कालोनी के पास टिहरी झील में चल रही बोट मालिको और ऑपरेटरों के चेहरे पर अपने भविष्य के प्रति उदासी और चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं,बोट मालिक लखवीर चौहान तथा बीरू ने कहा कि हम लोगों के द्वारा बैको से लोन लेकर बोट खरीदी गयी थी,अब हमें चिंता सता रही है कि,किस तरह से बोट के लिये लिये गये लोन की किस्त भरी जायेगी? समय से अगर किश्त नही दी गई तो बैक द्वारा कभी भी कोई कार्यवाही करने की तलवार हमपर हमेशा लटकती रहेगी,सरकार को चाहिए कि इस ओर ध्यान दे,टिहरी बॉध से देश को बिजली,पानी देने के लिये एक शहर के साथ एक सौ बाईस से अधिक गांव के लोगों ने कुरबानी दी,लेकिन स्थानीय लोग आज तक रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ये लोग आज रोज़गार के लिए टिहरी झील में साहसिक खेलों का संचालन कर रहे हैं, जिसमें 5० से अधिक वोट संचालन से लगभग दो सौ से अधिक परिवार पल रहे है,वहीं अब प्रदेश के हाई कोर्ट ने आनन फानन में कुछ असामाजिक तत्वो के कारनामों के आधार पर पूरे प्रदेश के पर्यटन कारोबारियों का आंकलन कर पर्यटन गतिविधियों पर विराम लगा दिया है,वंही दूसरी ओर प्रदेश सरकार प्रदेश में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे कर युवाओं को गुमराह कर रही है,प्रदेश ने साहसिक खेल गतिविधियो के विकास के नाम पर कागजों पर अरबों रुपये लगा दिये,पर प्रदेश सरकार ने जल ,थल व वायु खेलों की नीति ही नही बनायी,जिससे बड़ी हैरानी होती है,इस प्रदेश के हुक्मरानों की यह नीति है कि रातों रात अपना भला जिस नीति में हो वह आबकारी नीति तो पारित हो जाती है, लेकिन प्रदेश बनने के 16 साल बाद साहसिक खेल पर्यटन की कोई नीति ही नही है! ये सरकार पर गम्भीर सवाल उठाने के लिए काफी है,मोदी और डबल इंजन के नाम पर प्रदेश में सत्ता पर काबिज़ होने वाली त्रिवेन्द्र सरकार को अगर जरा भी शर्म है,तो माननीय हाई कोर्ट के समक्ष यथाशीघ्र साहसिक खेल पर्यटन की नीति साफ करे और पर्यटन कारोबारियों को बेरोजगार होने से बचाये, अन्यथा सरकार अपनी इज्जत पूरी तरह गंवा देगी…