प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खिर्सू में बहते विकास के नालों की सुध कब लेगा पौड़ी ज़िला प्रशासन और पर्यटन विभाग ?
भाष्कर द्विवेदी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
उत्तराखण्ड सरकार पर्यटन को आर्थिकी का मुख्य आधार बनाने के दावे तो करती है,लेकिन पर्यटन विकास की योजनाएं किस दूरदर्शिता के साथ बनाई जाती है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यदि आपको देखना है तो चले आइये पौड़ी जिले के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खिर्सू,जहां आपको बड़ी बड़ी बातें करने वाले और अपने आपको विकास पुरुष कहने वाले जनप्रतिनिधियों के दावों की पोल खिर्सू के एंट्री प्वाइंट पर ही मुख्य सड़क के दोनों तरफ बने विकास के नालों में दिख जायेगी!लेकिन बड़ा अफसोस होता है कि स्थानीय विधायक और पर्यटन मंत्री उत्तराखण्ड सरकार को अपने गृह जनपद में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों के व्यवसाय पर उनकी उदासीनता से कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है,इस तरफ सोचने का समय ही नहीं मिल पा रहा है,हमारे ऐसे जनप्रतिनिधि कैसे आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने की सोच रहे हैं इस बारे में राज्यवासियों को सोचना होगा, आपको बताते चलें कि उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद से आज तक हमारे जनप्रतिनिधियों व सरकारी सिस्टम ने मौजूदा प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग करने की बजाय,औचित्यहीन नये निर्माण कर ठेकेदारों को आबाद करने पर ही अधिक जोर दिया!आप यदि पौड़ी मुख्यालय से पर्यटन स्थल खिर्सू की ओर जाते हैं तो आपको जगह जगह पर नये-नये निर्माण और स्मृति द्वारों के साथ पर्यटन नगरी खिर्सू के नाम पर “बासा”की बात करने वाले दावों की पोल खुलती साफ़ नज़र आ जायेगी। वंही अगर आप कागज़ी विज्ञापनों पर नजर डालें तो श्रीनगर विधानसभा और चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे निर्माण हुये हैं, जिन पर करोड़ों की धनराशि तो फूंक दी गई,लेकिन परिणाम शून्य ही रहा,अगर ऐसा ही चलता रहा तो पर्यटन विकास की बात कैसे आगे बढ़ेगी कहना मुश्किल है!