देहरादून शहर के बीचोंबीच अवैध प्लॉटिंग को किसका अभयदान?
गौरव तिवारी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
देहरादून अब उत्तराखण्ड की राजधानी के साथ-साथ अवैध गतिविधियों की भी राजधानी बनने लगी है,चाहे नशा, जिस्मफरोशी,अनियंत्रित यातायात व्यवस्था,अवैध निर्माण -अवैध प्लाटिंग हो या अन्य अपराध,सब काम देहरादून में खूब फल फूल रहे हैं,ये अवैध धन्धे बिना किसी राजनीति या अधिकारियों की संरक्षण में पनप रहे हों ये नामुमकिन है “जागो उत्तराखण्ड”आपको समय समय पर ऐसी अवैध गतिविधियों से अवगत करा अपना सामाजिक दायित्व पूरा करता रहता,लेकिन जिन जिम्मेदार अधिकारियों क़ो इन अवैध धंधों पर कार्यवाही करनी होती है,वो शायद गाँधी जी के देश में गाँधी जी की फोटो वाले रंगीन कागजों की चकाचौंध में कोई कार्यवाही ना करने की जैसे कसम खाये बैठे हैं,तभी तो जब इनसे इन अवैध धंधों पर नकेल कसने के बारे में जवाब माँगो,तो ये कोई न कोई बहाना बनाकर बात को टाल कर बच निकलने की कोशिश करते हैं,जैसे “हमारे पास अन्य काम थे”, “कार्यक्षेत्र बड़ा है” ये बहानों के नमूने मात्र हैं,हद तो तब हो जाती है,जब एमडीडीए कार्यालय से महज़ चार किलोमीटर की दूरी पर हो रही अवैध प्लॉटिंग पर भी इन अधिकारियों की नजर नहीं जाती या यूँ कहा जाये कि वे नजऱ ही नहीं डालना चाहते!आजकल बंगाली कोठी के पास बड़े इलाके में इसी तरह की एक अवैध प्लॉटिंग हो रही है, प्लॉटिंग में सारे नियमों क़ो ताक पर रखा जा रहा है,साथ ही सरकारी संपत्ति सिंचाई गूल को मूल स्थान से हटा कर भविष्य में नाली के रूप में प्रयोग लाने के उद्देश्य से प्लॉटिंग के आगे गैरकानूनी तरीके से शिफ़्ट भी कर दिया गया है,साथ ही एक विशालकाय पेड़ को काटने के बाद ठूँठ को एसिड से जलाने के निशान भी साफ़ देखे जा सकते हैं,एमडीडीए,रेरा,राजस्व,फारेस्ट समेत प्रशासन के सारे अधिकारियों को जैसे इस मामले में मोतियाबिंद हो गया है,फ़िर भी “जागो उत्तराखण्ड” इन भू माफ़ियाओं पर नकेल कसने के अपने अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिये कृतसंकल्पित है।