गढ़वाल कमिश्नरी मुख्यालय पौड़ी जो दशकों पहले पूरे गढ़वाल मंडल की आन बान और शान के साथ सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था और व्यावसायिक गतिविधियां अपने चरम पर थी जिसमें पर्यटन होटल व्यवसाय और टूर एंड ट्रेवल्स के साथ अन्य कारोबार जन सामान्य की जरूरतों की पूर्ति के साथ ध्याडी़ मजदूरी करने वालों के लिए भी आय का बेहतर माध्यम था वो आज 21 वीं शताब्दी में लगभग शून्य पर पहुंच गया है जिसका एकमात्र कारण गढ़वाल कमिश्नरी मुख्यालय से पैदा हुई राजनीति और घर घर पैदा हुए राजनेताओं के साथ मूकदर्शक बनी स्थानीय जनता है आलम ये है कि धीरे धीरे जनपद के महत्त्वपूर्ण विभाग अस्थायी राजधानी में सिफ्ट होते जा रहे हैं और स्थानीय जनता विरोध प्रदर्शन के बजाय राजनेताओं द्वारा पैदा किए प्रोपर्टी डीलरों के चंगुल में फंसकर पौड़ी से देहरादून सिफ्ट होने में अपनी जीत समझ रही है और जनसामान्य की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर आज जनपद मुख्यालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी बैठने को तैयार नहीं है , पर्यटन नगरी पौड़ी की बदहाली में जितनी जिम्मेदार यहां की प्रशासनिक इकाइयां हैं उससे अधिक यहां का बुद्धिजीवी वर्ग है जिसने बड़ी बड़ी अट्टालिकाओं के निर्माण में खुली सड़कों को अतिक्रमण करके फुटपाथ में तब्दील कर दिया है और रही सही कसर नगर पालिका पौड़ी की अव्यवस्थाओं व आम नागरिकों के साथ व्यापारिक गतिविधियों में शामिल बाहरी लोगों ने समूह के रूप में कब्जा कर कूड़ा फैलाती अपनी सोच से पूरी कर दी है ,कभी इस मंडल मुख्यालय की शान और पर्यटन नगरी की पहचान सर्किट हाउस आज चार मुख्यमंत्रियों इस गृह जनपद से होने के बाद भी अंग्रेजी शराब की दुकान और FL-2 के गोदामों में सिमटकर रह गई है जोकि बहुत बड़ा कलंक है अपने को पहाड़ पुत्र कहलाने वालों पर , जागो उत्तराखंड निरंतर ऐसे ही मुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखता रहेगा और पौड़ी के हित में सोचने वालेेेेेेेेेे जनसमुुदाय के साथ नव वर्ष 2021 से साप्ताहिक वार्तालाप के साथ जनसंवाद की रुपरेखा तैयार कर रहा है
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