जागो उत्तराखण्ड खुलाशा…
समाधान पर शिकायत के बाद नगरपालिका की दुकानों से “बेनाम”के अवैध कब्जे हटने शुरू…
उत्तराखण्ड सरकार के समाधान पोर्टल पर पौड़ी के पूर्व विधायक और निवर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष यशपाल “बेनाम” द्वारा नगरपालिका की सम्पत्ति पर कथित रूप से किये गये अवैध कब्जों को हटाने की अधिवक्ता अशोक बिष्ट की शिकायत पर नगरपालिका पौड़ी ने शुक्रवार को बेनाम को आबंटित दुकान/परिसर के बगल वाली दुकान/परिसर जिसपर कथित तौर पर बीच की दीवार तोड़ कर कब्जा किया गया है का ताला तोड़ कर वहाँ अपना कब्जा कर लिया,अधिवक्ता अशोक बिष्ट ने इसी महीने की 11 तारीख़ को समाधान पोर्टल में इससे सम्बंधित शिकायत अपलोड की थी,जिसके बाद जिलाधिकारी पौड़ी जोकि आजकल नगरपालिका के प्रशासक भी हैं ने नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी को शीघ्र सम्बंधित पत्रावली प्रस्तुत करने को लिखा,उसके बाद तुरत-फुरत में पालिका द्वारा अपनी फजीहत बचाने के लिए ये कार्यवाही अमल में लायी गयी है,दरअसल यशपाल “बेनाम” को उनके विधायक कार्यकाल के दौरान नगरपालिका परिषद पौड़ी ने पुराने डमरू हाल के स्थान पर बने भवन में एक दुकान/परिसर निशुल्क विधायक के स्थानीय कार्यालय के रूप में प्रयोग करने को दी थी,आरोप है कि बाद में “बेनाम” द्वारा बगल की दुकान पर भी बीच की दीवार तुड़वा कर कब्जा कर लिया गया,अधिवक्ता अशोक बिष्ट द्वारा की गयी शिकायत में कहा गया गया है कि पौड़ी में ही नगरपालिका द्वारा आबंटित दुकानों को अन्य लोगों से 5 से लेकर 8 लाख रुपये तक का प्रीमियम जमा करा कर प्रयोग करने को आबंटित किया गया है,जबकि “बेनाम” का विधायक कार्यकाल 2012 में समाप्त हो जाने पर नियमानुसार नगरपालिका को “बेनाम” को निशुल्क दी गयी दुकान/परिसर को वापस ले लेना चाहिये था,ऐसे में पिछले कई वर्षों से नगरपालिका द्वारा “बेनाम” को निशुल्क आबंटित दुकान/परिसर और “बेनाम”द्वारा कथित रूप से कब्जा की गयी बगल की दुकान/परिसर को नगरपालिका पौड़ी द्वारा वापस न लिए जाने के कारण,नगरपालिका और सरकार को अब तक लाखों रुपयों के राजस्व की क्षति हो चुकी है,प्राप्त जानकारी के अनुसार कथित रूप से कब्जा की गयी दुकान/परिसर से कब्जा छुड़ाने के बाद भी दोनों दुकानों के बीच की दीवार हालांकि फ़िलहाल अभी तक नहीं बनवायी गई है,किन्तु नगरपालिका ने अपना बिजली का सामान वहाँ रखवा दिया है,देखने वाली बात अब यह है कि नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी इन अवैध कब्जों के बारे मे जिलाधिकारी पौडी को क्या जवाब देते हैं?”जागो उत्तराखण्ड” ने इस बावत जब नगरपालिका पौड़ी के अधिशासी अधिकारी विनोद लाल शाह से सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि “बेनाम”के निवर्तमान पालिकाध्यक्ष कार्यकाल के दौरान बेनाम की “सुविधा” के लिए दोनों दुकानों के बीच की दीवार तुड़वाई गयी थी,अगर इस दलील को मान भी लें तो सवाल यह है कि जब करोड़ो की लागत से बने नगरपालिका के वर्तमान भवन में पालिकाध्यक्ष के लिये कार्यालय और सभासदों व अन्य लोगों से मीटिंग के लिए हाईटेक साउंडप्रूफ हॉल उपलब्ध है,तो निवर्तमान पालिकाध्यक्ष कौन सी विशेष “सुविधा”लेना चाह रहे थे?एक बात और कि अब जब नगरपालिकाध्यक्ष का कार्यकाल मई में समाप्त हो गया है, तो पालिका द्वारा उनको दी गई “सुविधा” को वापस क्यों नही लिया गया?हैरानी ये भी कि कूड़े की समस्या का निस्तारण न होने से शहर पाँच साल तक गन्दगी में सड़ता रहा और जिम्मेदार पालिकाध्यक्ष खुद के लिए “सुविधा” ही तलाश करते रहे?