After one year of Kotdwar disaster ground reality has’nt changed…

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आपदाग्रस्त कोटद्वार भाबर में एक साल बाद भी हालात जस के तस…

अतुल रावत,जागो उत्तराखण्ड,कोटद्वार

  1. कोटद्वार भाबर क्षेत्र में आई आपदा को एक साल होने को है,लेकिन भाबर के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में हुई क्षति से सरकार हो या शासन प्रशासन नही लगता हैं कि कोई सबक लिया होगा, तभी तो आपदा को लगभग एक साल हो जाने पर भी न ही इस प्रकार की आपदा से निपटने से कोई कार्य धरातल पर किये हैं और बीते साल आई आपदा से क्षतिग्रस्त स्थलों व जनता की स्थिति जस की तस बनी हुई है,बतातें चले कि गतवर्ष 3 व 4 अगस्त को बादल फटने से कोटद्वार के पनियाली गदेरे में आए उफान से जौनपुर, सिताबपुर, आर्मी की सीएसडी कैन्टीन, एमटी कैम्प क्षेत्र, नगरपालिका की रिफ्यूजी कालोनी,बिजली घर, सूर्यानगर, प्रतापनगर, देवीनगर में बाढ़ आ गई थी। बाढ़ आने से पांच लोगों की मौत हो गई थी घरो में पानी घुस गया था।,भाबर की तैलीस्रोत, मालन नदियां, उफान पर आईं जिससे भाबर के कई हिस्सों में जलप्रलय देखने को मिला साथ ही गाढ़ गदेरों ने भी अपना विकट रूप दिखाकर भाबर क्षे़त्र को डराने में कोई कसर नही छोड़ी,एक बार फिर आकाशीय गर्जन सुनकर लोग सहमे में है लेकिन सुरक्षा के नाम पर व्यवस्थाऐं शुन्य पर है,गतवर्ष आए बाढ़ से भाबर के लोकमणीपुर, झण्डीचौड़ पश्चिमी, झण्डीचौड़ पूर्वी, झण्डीचौड़ उत्तरी के कई इलाकों में घरो में पानी और मलबा घुस गया था, वहीं तैलीस्रोत नदी के पास बसे गांव शीतलपुर में पानी घुसने से कई घर तबाह हो गये और घर में रखा सामान, कपड़े आदि सब बह गयें और ग्रसित परिवारों को घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर आश्रित होना पड़ा था, ग्रसित परिवारों का राशन पानी बह जाने से खाने के लाले पड़ गये। जिसके चलते अनेको सामाजिक संगठनो और स्कूली संस्थानों द्वारा आश्रित ग्रामीणों को खाने और कपड़े आदि की व्यवस्था कर अपना दायित्व निभाया था,उत्तराखण्ड़ के मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह व वनमंत्री डा0 हरक सिंह रावत व साथी कैबिनेट मंत्रियों,पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट,पूर्व स्वास्थ्य मन्त्री सुरेंद्र सिंह नेगी,बॉलीवुड स्टार उर्वशी रौतेला समेत कई हस्तियों ने इलाके का दौरा किया,लोगों का हाल जाना तथा लोगों को राहत सामग्री बांटी,सरकार की और से आपदा में ग्रसित परिवारों को मुआवजा भी दिया गया, अब एक साल पूरा होने को है लेकिन शासन प्रशासन मुआवजा देकर क्षेत्र को भूल गया, अभी तक इन क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा कार्य अभी तक नही किये गये,आज भी नदी नालों में मलबा ज्यौ का त्यौं बना हुआ कई स्थानों पर नदी नालों में मलवा नही हटवा गया है,तैलीस्रोत नदी पर बने पुस्ते नदी में उफान के आगे टीक न सके,लेकिन आज भी उन पुस्तों को बनवाने की जहमत प्रशासन ने नही उठाई,मलबा उठाने के नाम पर अवैध खनन जोर शोरो से चल रहा है,जिसका विरोध ग्रामीण लोग करते आ रहे है लेकिन प्रशासन है कि गहरी निन्द्रा से उठने का नाम नही ले रहा है,मानक के विपरीत खोह नदी, तैलीस्रोत अन्य नदियों में पर खनन हो रहा है,जिससे कहीं न कहीं आसपास गांवो को इसका खामियाजा भुगतना पढ़ सकता है, शासन-प्रशासन गत वर्ष आए आपदा को लेकर संवेदनशील इलाकों के प्रति अभी तक गंभीर नही दिखाई दे रही है और न ही लग रहा है कि शासन प्रशासन गत वर्ष आए आपदा से कोई सबक लिया होगा,जिस कारण पुनः आपदा से निपटने के लिए डबल इंजन की सरकार फेल होती नजर आ रही है…

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