Big question mark on capabilities of new acting VC Prof A.B. Bhatt :HNB Garhwal Central University

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हे0न0बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय गढवाल विश्वविद्यालय मे पिछले कुछ समय से शीर्ष पदों पर हो रही उठा-पटक से विश्वविद्यालय खूब सुखिर्यों मे रहा, लेकिन इस उठा-पटक का स्थाई समाधान निकालने के बजाय ऐसी व्यवस्था की गई कि विश्वविद्यालय का पूरा प्रबन्धन ही अस्तित्वविहीन हो गया है,पूर्व कुलपति बर्खास्त हुए ,जिनपर जांच मानव सँसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा हुई लेकिन जो नई व्यवस्था विश्वविद्यालय के कार्यों को चलाने के लिए की गई उससे ऐसे कई सवाल उठते हैं जो विश्वविद्यालय के अस्तित्व पर किसी धब्बे से कम नही है, मार्च 31 को रिटायर होने वाले नवनियुक्त कुलपति प्रो0 भट्ट जिन्हें प्रशासनिक कार्य करने का कोई अनुभव नही था, जो कुलपति की कुर्सी पर बैठने से पूर्व कुलपति कार्यालय मे कभी दाखिल नही हुए थे, लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता कुछ अभूतपूर्व ही दिखी, ऐसी क्षमता कि कि उन्होने पहले ही दिन पूर्व कुलपति द्वारा निलम्बित कुलसचिव को बिना जांच के ही बहाल कर दिया..ऐसी प्रशासनिक क्षमता की पहले ही दिन गढवाल विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति जो एक साल से अपने पद पर कुलपति की अनुपस्थिति मे सभी कार्य निभा रहे, प्रो0 नेगी को कार्यमुक्त कर दिया. कुलपति पद पर बैठने के बाद उनके तात्कालिक प्रशासनिक आदेश से वे सुखिर्यों मे रहे,लेकिन उनकी तत्कालिक कार्यवाही को देखने के बाद ये भी साफ हो गया कि वे सिर्फ चमचों के हाथ की कठपुतली मात्र हैं,उनके फैसले सिर्फ व सिर्फ विश्वाविद्यालय की राजनीतिक गुटबाजी के बदले को लेने के उद्देश्य से लिए गये फैसले लगते हैं ,विश्वविद्यालय के ऐसे कुछ कर्मचारियों व प्रोफेसरों की गुटबाजी नये कुलपति पर हावी होती दिखी,जो विश्वविद्यालय मे अपने कार्य से हटकर सिर्फ राजनीतिक बुखार से पीड़ित दिखते हैं, देश के विभिन्न विश्वविद्यालय वर्तमान मे रैंकिग में अपने पायदानों मे सुधार ला रहे हैं, लेकिन गढवाल विवि की छवि लगातार खराब हो रही है, गढवाल विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्थाओं को जो सुधारना चाहते हैं,उनके लिए इस विश्वविद्यालय मे कोई जगह नही है, विश्वविद्यालय मे कई असिस्टेंट प्रोफेसर, अतिथि शिक्षक हैं, जो शिक्षा के क्षेत्र मे जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ठेकेदारी मे लिप्त कर्मचारी, प्रोफेसर ऐसे शिक्षकों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं,शिक्षा के इस मन्दिर मे राजनीति अखाड़ा चलाने वाले कर्मचारी इतने हावी हो चुके हैं कि लाॅ के प्रोफेसर, विक्रम युनिवर्सिटी के कुलपति पद पर बखूबी खरे उतरने वाले पूर्व कुलपति प्रो0 जे0एल0काॅल को भी विवि के कर्मचारियों की राजनीति समझ नही आई! शिक्षा के इस मन्दिर पर धब्बा लगता हुआ तब दिखता है, जब दुनिया की नामी विश्वविद्यालय से पढाई पूरी कर दुनिया की कई युनिवसिर्टी मे अपने शोध अध्ययन से नाम कमाने वाले प्रतिकुलपति प्रो नेगी को इस राजनीति का शिकार होना पड़ा,सवाल किसी के पद पर रहने व न रहने का नही है ,बल्कि सवाल उस पौध का है जो यहां तैयार हो रही हैं, सवाल जी-तोड़ मेहनत करने वाले उन शिक्षकों के भविष्य का भी है,जो अपनी ईमानदारी से विमुक्त हो रहे हैं ,क्योंकि चापलूसी व राजनीति करने वाले विश्वविद्यालय के शिक्षक-कर्मचारी,ईमानदार शिक्षक-कर्मचारियों का मनोबल तोड़ कर उन्हें लाचार करने में जुटे हुए हैं

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