आसिफ हसन की रिपोर्ट-
राजकीय महाविद्यालय नागनाथ- पोखरी में वनस्पति विज्ञानं विभाग द्वारा “रीसेंट ट्रेंड्स इन सिस्टेमेटिक बायोलॉजी (वर्गीकरण विज्ञानं की आधुनिक प्रवृत्तियॉं)” विषय पर एक दिवसीय अनतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया गया। जिसके आयोजक वनस्पति विज्ञानं के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ अभय कुमार श्रीवास्तव थे।
अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्या वक्ता फ्लोरिडा म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री एवं जीव विज्ञान विभाग के प्रतिष्ठित एवं विश्व स्टार पर ख्यातिप्राप्त प्रोफेसर डगलस एडवर्ड सोल्टिस थे। वेबिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भोपाल के कुलपति प्रोफसर अरुण कुमार पांडेय रहे तथा इनके साथ ही बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञानं के प्रोफेसर एन के दुबे एवं डॉ प्रशांत सिंह तथा सी इस आई आर – राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संसथान, लखनऊ के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ तारिक़ हुसैन , प्रसिद्द लाइकेनोोलॉजिस्ट डॉ संजीवा नायका, एवं डॉ प्रियंका अग्निहोत्री विषय विशेषज्ञ की भूमिका में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि ने अपने उद्घाटन व्यख्यान में पादप वर्गीकरण के विभिन्न सिद्धांतों का जिक्र करते हुए उनके मह्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रोफेसर पांडेय ने बताया कि प्लांट टेक्सोनोमी प्लांट साइंस के आधारभूत विज्ञानं में से है। जिसके बिना बेसिक प्लान्ट साइंस के आधुनिक विज्ञान कि वैधता नहीं है। क्योंकि आणविक स्तर पर अथवा ड्रग डेवलपमेंट क लिए भी हम तभी काम कर सकते हैं जब हमे किसी पौधे कि ठीक-ठीक पहचान हो। इसके साथ ही प्रोफेसर पांडेय ने पौधों के वंशगत इतिहास (फाइलोजेनी) को समझने कि आवश्यकता पर जोर दिया जिससे हम जैव विकास के क्रम को ठीक से समझ पाएं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफसर डगलस सोल्टिस ने “बिल्डिंग ट्री ऑफ़ लाइफ (जीवन इतिहास के वंशगत वृक्ष निर्माण) विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम चार्ल्स डार्विन ने इस प्रकार के कार्य में रूचि दिखाई थी , तब से अब तक बहुत से जीवों के वंशगत इतिहास को अलग अलग अध्ययन किया जा चूका है। परन्तु एक साथ एकीकृत डाटा, जो सभी प्लांट्स के इतिहास को एक साथ प्रदर्शित करे , अब तक उपलब्ध नहीं है। उन्होंने डीएनए सिक्वेंसिंग एन्ड डाटा एनालिसिस क द्वारा लाइफ ट्री डेवलपमेंट पर जोर दिय। आज के समय में सभी देशों के प्लांट टैक्सोनॉमिस्ट को एक प्लेटफार्म पर आकर लाइफ ट्री विकसित करने के लिया काम करना चाहिए। लाइफ ट्री कि उपयोगिता के बारे में बोलते हुए उन्होंने बताया कि इस लाइफ ट्री के डीएनए डाटा बेस से भविष्य में यदि कोई प्लांट विलुप्त होते हैं तो उसकी भी पूरी जानकारी हम प्राप्त कर सकते है। इस प्रकार से यह लाइफ ट्री प्लांट संरक्षण में भी सहायता करेगा। तथा औषधीय पौधे कि ठीक ठीक पहचान करने में भी सहायक होगा। इसके साथ ही DNA डाटा उपलब्ध होने से गुणवत्तापूर्ण फसलों को विकसित करने, क्लाइमेट चेंज को समझने तथा जैव विविधता संरक्षण में सहायता मिलेगी।
उक्त कार्यक्रम में प्रोफेसर कुमकुम रौतेला, निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तराखंड सरकार संरक्षक की भूमिका में कार्यक्रम के सफलतापूर्ण संपन्न होने क लिए आवश्यक दिशा निर्देश तथा सहयोग दिया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर एस के शर्मा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से उच्च शिक्षा में शोध की गुणवत्ता बढ़ती है तथा साथ ही प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों को शोध के नए आयामों के बारे में पता चलता है।
कार्यक्रम के आयोजक डॉ अभय श्रीवास्तव ने बताया कि प्रोफेसर डगलस सोल्टिस एक बहुत ही ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक हैं, उनका हमारे वेबिनार में बोलना महाविद्यालय के लिए गौरव कि बात है। प्रोफेसर सोल्टिस ने भविष्य में भारत के ( विशेषतः उत्तराखंड ) प्लांट साइंटिस्ट के साथ जुड़कर कर हिमालय के वनस्पतियों पर अध्ययन करने कि सहमति भी दी है।
वेबिनार में जुड़े समस्त प्रतिभागियों एवं विषय विशेज्ञों का आभार एवं आयोजक, डॉ अभय श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ महेंद्र सिंह चौहान के साथ डॉ कंचन सहगल , डॉ अनिल कुमार , डॉ हरिओम , डॉ रेनू, डॉ अंजलि रावत, डॉ उपेंद्र सिंह चौहान , डॉ आरती रावत प्रमुख भूमिका में थे। कार्यक्रम के आयोजन में प्राध्यापक डॉ नन्द किशोर चमोला का विशेष सहयोग रहा।