जीरो टॉलरेन्स सरकार फ़िर करवायेगी,रिवर ट्रेनिंग के नाम पर नदियों का सीना छलनी!:आशुतोष नेगी,आप प्रदेश प्रवक्ता

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जीरो टॉलरेन्स सरकार फ़िर करवायेगी,रिवर ट्रेनिंग के नाम पर नदियों का सीना छलनी!:आशुतोष नेगी,आप प्रदेश प्रवक्ता
जागो ब्यूरो एक्सक्लूसिव:
जनवरी 2020 में उत्तराखण्ड के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव और वर्तमान मुख्य सचिव ओम प्रकाश के हस्ताक्षर से जारी रिवर ट्रेनिंग पॉलिसी शुरू से ही विवादों में रही है, दरअसल इस पॉलिसी के अंतर्गत नदी और नयार घाटियों में पोकलैंड,जेसीबी आदि मशीनों से खनन की अनुमति इस आधार पर दी जाती है,कि नदियों में भारी मात्रा में आरबीएम जमा हो गया है और उससे आसपास के आबादी क्षेत्रों में भू कटाव और नुकसान होना संभावित है!लेकिन सच्चाई यह है कि इस पॉलिसी के नाम पर उत्तराखण्ड में नदियों में अवैध खनन किया जा रहा है,अगर केवल मुख्यमन्त्री के गृह जनपद पौड़ी के कोटद्वार की मालन,खोह और सुखरो नदी,श्रीनगर में अलकनन्दा नदी,सतपुली में बहने वाली नयार नदी या यमकेश्वर में बहने वाली हेंवल नदी का उदाहरण लें, इन नदियों में रिवर ट्रेनिंग का परमिट देकर बीते सालों में भी काफी अवैध खनन किया गया और लोगों के काफी हो हल्ला मचाने के बावजूद खनन संपदा की जबरदस्त लूट हुयी,जिसमें खनन कारोबारियों को राजनीतिक संरक्षण भी देखने में आया। कोटद्वार में तो स्थानीय पत्रकार राजीव गौड़ पर इन मामलों को मीडिया के माध्यम से उठाने पर उन पर हमला भी किया गया!अभी कुछ दिन पहले टिहरी प्रशासन ने भी श्रीनगर से लगे हुए इलाके में कीर्तिनगर और नरेंद्रनगर तहसील के अंतर्गत अलकनंदा नदी पर मड़ी और नौर तथा नरेंद्रनगर तहसील में हेंवल नदी बाराथली में रिवर ट्रेनिंग के परमिट जारी करने के लिए निविदायें आमंत्रित की हैं,जिसमें बताया गया कि इन स्थानों पर भारी मात्रा में आरबीएम जमा हो गया है,जबकि इन स्थानों का स्थलीय मुआयना करने पर “जागो उत्तराखण्ड”की टीम ने पाया कि यहां पर तो अभी पिछली बार रिवर ट्रेनिंग द्वारा किए गये खनन द्वारा किये गये बड़े-बड़े गड्ढे तक भर नहीं पाए हैं और यहां पर गहरी खाइयाँ बनी हुई हैं, साथ ही सिंचाई विभाग द्वारा यहां पर जो बाढ़ सुरक्षा दीवारें लगाई गई है,उनकी बुनियाद भी पिछली बार के बेहिसाब खनन से खोखली हो चुकी है,जिससे नदी का बहाव बढ़ने पर इन दीवारों का भी नीचे आकर ध्वस्त होना संभावित है! ऐसे में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कीर्तिनगर और नरेंद्रनगर तहसील के उपजिलाधिकरियों,वन विभाग के अधिकारियों और जनपद के खान अधिकारी के नेतृत्व में बनी कमेटी में जिन अधिकारियों ने भी रिवर ट्रेनिंग परमिट के लिये यँहा पर अत्यधिक आरबीएम होना पैमाइश किया है,उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है और उनके इस सफेद झूठ से भ्रष्टाचार की दुर्गंध आ रही है! कि कैसे उन्होंने स्थलीय मुआयना कर कर यह बता दिया कि वहां पर भारी मात्रा में आरबीएम जमा है ?जबकि यहां पर तो ऐसा कुछ भी नहीं है!आप समझ सकते हैं कि यँहा पर रिवर ट्रेनिंग के नाम पर एक बार फिर अलकनंदा नदी का सीना छलनी करने की तैयारी हो रही है,दिसंबर के द्वितीय सप्ताह में इन रिवर ट्रेनिगं परमिटों को जारी करने के लिए नीलामी तिथियों की घोषणा भी की गई है,जिसके बाद यहां पर एक बार फिर से रिवर ट्रेनिंग के नाम पर अलकनंदा नदी का सीना छलनी किया जाएगा! इस बीच उत्तराखण्ड के कई पर्यावरणविदों ने भी रिवर ट्रेनिंग के नाम पर पर्यावरण को होने वाले गम्भीर नुकसान पर अपनी चिंता प्रकट की है!इस बार इन नदियों पर  रिवर ट्रेनिंग के नाम एक बार एक बार फ़िर अवैध खनन कर नदियों का सीना छलनी न हो, इसके लिए स्थानीय प्रशासन और उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संज्ञान न लेने पर “जागो उत्तराखण्ड” ने भी पर्यावरण की रक्षा और व्यापक जनहित में एनजीटी में न्याय की गुहार लगाने की पूरी तैयारी भी कर ली है!आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आशुतोष नेगी ने भी पार्टी फोरम पर इस गम्भीर मुद्दे को रखने की बात कही है।लेकिन साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उत्तराखण्ड में सरकार हालाँकि बार-बार जीरो टॉलरेंस का शिगूफा छोड़ती है,लेकिन इनके अधिकारी पॉलिटिकल संरक्षण में ख़ुद ही इसकी हक़ीक़त उत्तराखण्ड की जनता के सामने लाकर ख़ुद ही नंगे हो जाते हैं।

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