शराब के लिये “कोरोना” को भी गले लगाने को तैयार पियक्कड़ों को माँ-बाप-बीबी बच्चों की भी नहीं परवाह !

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शराब के लिये “कोरोना” को भी गले लगाने को तैयार पियक्कड़ों को माँ-बाप-बीबी बच्चों की भी नहीं परवाह !

भगवान सिंह,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

पियक्कड़ों को शराब से इतनी मोहब्बत है कि उन्हें अपने परिवार और बच्चों की भी परवाह नहीं!शराब की दुकान खुलते ही जगह-जगह पियक्कड़ सुबह सात बजे से ही शाम तक धूप,बारिश और हर तरीके के मौसम में लम्बी लाइनों में खड़े हैं,प्रदेश की राजधानी देहरादून से लेकर सभी मैदानी/पहाड़ी जनपदों से पियक्कड़ों की कमोबेश एक जैसी तस्वीर मिल रही है,यही हालात पौड़ी शहर में भी हैं,यहां नये बस अड्डे के पास खुली दुकान को कल जिला आबकारी अधिकारी द्वारा बंद करवाना पड़ा,क्योंकि पियक्कड़ों की बेक़ाबू भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की सारी सीमाएं लाँघ कर पिछले डेढ़ महीने से करोना से ख़िलाफ़ जंग की सारी मेहनत की सफलता को बेकार करने पर उतारू थी, पियक्कड़ शराब की बोतल के लिए इतने उतावले हैं,कि वह एक दूसरे से चिपक कर,एक दूसरे के सर के ऊपर चढ़कर या किसी भी ढंग से बोतल को हासिल करना चाहते हैं! कई तो ऐसे भी हैं जो शायद पूरी जिंदगी भर का स्टॉक जमा करना चाहते हैं या उनका कोरोना से हालात बिगड़ने की संभावना के चलते दुकान बन्द होने पर शराब को ब्लैक करके पैसा कमाने की प्लानिंग है और तो और अफ़सोस इस बात का भी है कि भीड़ में ऐसे भी कुछ लोग खड़े नजऱ आये,जिनके पास कुछ दिन पहले राशन खरीदने के लिये भी पैसा नहीं था और इन हालातों में कई सामाजिक लोगों ने उनके खाने पीने की व्यवस्था की थी!केवल पौड़ी जनपद से सरकार का शराब से इस वर्ष लगभग एक अरब का राजस्व एकत्रित करने का लक्ष्य है,इसलिए सरकार तो शराब की दुकानों को खुला रखना ही चाहेगी,लेकिन पियक्कड़ तो शराब के लिए अपने बीवी-बच्चों की जान को भी जोखिम में डालने पर उतारू हैं,क्योंकि अगर भीड़ में एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुआ तो यह बीमारी उनके घर तक पहुंच जायेगी,जिससे वह तो बीमार होंगे ही,साथ ही उसके बेकसूर बच्चे और बीवी और बूढ़े माँ-बाप भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं,पौड़ी के जिला आबकारी अधिकारी राजेन्द्र शाह ने बताया कि,हालांकि वे शराब के सभी अनुज्ञापियों को यह निर्देश दे चुके हैं कि शराब की बिक्री में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाए और इसी वजह से पुलिस फोर्स भी मौके पर तैनात है,लेकिन फिर भी लोग मानने को तैयार नहीं है,उन्होंने जनता से शराब खरीदने में धैर्य बरतने का अनुरोध करते हुये कहा है कि दुकानें साल भर खुली रहेंगी,इसलिये शराब खरीदने में सोशल डिस्टेंसिंग का ख़याल रखें,महिलाओं में मर्दों की शराब की बोतल पाने को लेकर जुनून को लेकर खासा आक्रोश है,उनका कहना है कि सरकार प्रवासी उत्तराखण्डियों को वापस लाने के लिये गम्भीर नहीं है,लेकिन शराब से पैसा कमाने के लिए लोगों की जान को जोखिम में जरूर डाल रही है,यह कहां तक सही है?जहां एक ओर महिलाएं और बच्चे संयमित होकर न केवल घर पर ही रह रहे हैं,वरन परिवार की आर्थिकी की ओर भी ध्यान दे रहे हैं,वंही परिवार के मर्द सरकार को तो लाभ पहुंचा रहे हैं,लेकिन घर की अर्थव्यवस्था को शराब की बोतलों में डुबोना चाहते हैं! जिससे परिवार की बर्बादी होना तय है,अब यह फैसला तो पियक्कड़ों को ही करना है कि उन्हें गुलाबी बोतल प्यारी है या माँ-बाप- बीबी-बच्चे!

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