पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना का होगा पूरजोर विरोध : मोहित उनियाल

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रुद्रपुर,उधमसिंहनगर
राजीव गांधी पंचायत राज संगठन ने पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के विपक्ष में विचार गोष्ठी का अयोजन किया। जिसमें रुद्रपुर, उधमसिंहनगर जिले में राजीव गांधी पंचायत राज संगठन द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के विपक्ष में विचार गोष्ठी की गई। रुद्रपुर आगमन पर संगठन के प्रदेश संयोजक मोहित उनियाल ने कहा कि पूरे प्रदेश में इस अधिसूचना का विरोध दर्ज किया जाएगा। ईआईए अधिसूचना, 2006 में बदलाव करने के लिए लाई गई ये नई अधिसूचना पर्यावरण विरोधी है और हमें समय में पीछे ले जाने वाली है। किसी भी संवैधानिक लोकतंत्र में सरकार को ऐसे कानूनों पर जनता की राय लेनी होती है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के प्रभावित होने की संभावना होती है और कानून के प्रावधानों में उन्हें भागीदार बनाना होना होता है। पर्यावरण को लेकर ये नई अधिसूचना लोगों के इस अधिकार को छीनता है और पर्यावरण को बचाने में लोगों की भूमिका का दायरा बहुत कम करती है। वहीं दूसरी तरफ इसमें सरकार की फैसले लेने की विवेकाधीन शक्तियों को और बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा से जुड़ीं परियोजनाओं को वैसे ही रणनीतिक माना जाता है, हालांकि सरकार अब इस अधिसूचना के जरिये अन्य परियोजनाओं के लिए भी रणनीतिक शब्द को परिभाषित कर रही है।
इस बावत उधमसिंहनगर जिला संयोजक संदीप चीमा ने कहा कि ईआईए अधिसूचना, 2020 ने एक सबसे चिंताजनक और पर्यावरण विरोधी प्रावधान ये शामिल किया गया है कि अब उन कंपनियों या उद्योगों को भी क्लीयरेंस प्राप्त करने का मौका दिया जाएगा जो इससे पहले पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करती आ रही हैं। इसे ‘पोस्ट-फैक्टो प्रोजेक्ट क्लीयरेंसÓ कहते हैं। इससे पहले मोदी सरकार मार्च 2017 में भी इस तरह की मंजूरी देने के लिए अधिसूचना लेकर आई थी और उसी को यहां दोहराया जा रहा है। प्रावधानों के मुताबिक ईआईए अधिसूचना लागू होने के बाद यदि किसी कंपनी ने पर्यावरण मंजूरी नहीं ली है तो वो 2,000-10,000 रुपये प्रतिदिन के आधार पर फाइन जमा कर के मंजूरी ले सकती है। खास बात ये है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण के मामलों में इस तरह के प्रावधान को पहले ही खारिज कर दिया है,
एक अप्रैल को अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘पोस्ट फैक्टो पर्यावरण मंजूरीÓ कानून के खिलाफ है। पीठ ने कहा था कि यह एहतियाती सिद्धांत के साथ-साथ सतत विकास की आवश्यकता के भी खिलाफ है। सरकार के ये सारे प्रावधान पर्यावरण संरक्षण के लिए बने मूल कानून के साथ ही गंभीर विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न करते हैं। सरकार व्यापार सुगमता के नाम पर पर्यावरण को गंभीर खतरा पहुंचाने का रास्ता खोल रही है जिससे सरकार की पर्यावरण विरोधी मंशा उजागर होती है। विचार गोष्ठी में प्रदेश सचिव नंदलाल, कांग्रेस नेता ओमकार ढिल्लों, कौशल विश्वास, काबल सिंह, आशीष यादव, श्रवण, राकेश चौधरी, सुनील कुमार, दिनेश साहनी, संजय साहनी, अजय यादव, राहुल, हिमांशु, राम सुमेर सिंह, धीरज चौधरी, हरेन्द्र पाल, आकाशदीप सिंह, रोहित वर्मा, रोहित यादव, सोनू वर्मा, चन्दन सिंह, अंकुर चौधरी, आदित्य, करन कुमार, हिम्मत सिंह, प्रेम प्रकाश, जीएस नेगी, रुपेन्द्र सिंह, कमल गुप्ता, विकास मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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