नहीं रहे फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह 91 साल की उम्र में कोरोना से निधन..

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नहीं रहे फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह 91 साल की उम्र में कोरोना से निधन..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

फ्लाइंग सिक्ख मिल्खा सिंह 91 साल की उम्र में कल 18 जून को कोरोना से निधन हो गया है,वे पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती थे,अभी कुछ दिन पूर्व उनकी पत्नी निर्मल सैनी का भी निधन हुआ था!उड़न सिक्ख के नाम से विख्यात भारत के गौरव मिल्खा सिंह का जन्म पंजाब प्रान्त(पाकिस्तान) के गोविन्दपुरा में 20 नवंबर 1929 को एक सिक्ख जाट परिवार में हुआ था।चार बार के एशियन गोल्‍ड मेडलिस्‍ट मिल्‍खा सिंह ने अपने करियर में कई खिताब जीते,मगर आज भी उनकी एक हार की चर्चा पूरी दुनिया भर में होती है,वो हार जिसका दर्द आज भी देश नहीं भुला पाया!मिल्‍खा सिंह ने 1956, 1960 और 1964 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था,1960 रोम ओलिंपिक का नाम आते ही मिल्‍खा सिंह की 400 मीटर की फाइनल रेस की यादें ताजा हो जाती है,मिल्‍खा सिंह से भारत को गोल्‍ड की उम्मीद थी, मगर वो चौथे स्‍थान पर रहे,जबकि इस रेस में कई रिकॉर्ड टूट गए थे,वह सेकंड के कुछ हिस्‍से से ओलिंपिक मेडलिस्‍ट बनने से चूक गये थे! रोम ओलिंपिक में मिल्‍खा सिंह पांचवी हीट में दूसरे स्‍थान पर रहे थे,क्‍वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में भी दूसरे स्‍थान पर रहे थे,1960 में 400 मीटर का फाइनल दो दिन बाद हुआ, इन दो दिनों में मिल्‍खा थोड़े से दबाव में भी आ गए थे,फाइनल रेस में कार्ल कॉफमैन पहली लेन, अमेरिका के ओटिस डेविस दूसरी लेन,मिल्‍खा सिंह पांचवीं लेन और जर्मनी का एथलीट छठी लेन में थे,मिल्खा 200 मीटर तक लीड कर रहे थे,मगर तभी उनके मन में ख्‍याल आया कि वह काफी तेज दौड़ रहे हैं और हो सकता है कि वह रेस पूरा नहीं पाएं! बीसीसी को काफी समय पहले एक इंटरव्‍यू में मिल्‍खा सिंह ने बताया था कि इसी वजह से उन्‍होंने अपनी गति को थोड़ा कम किया था और एक बार पीछे मुड़कर भी देख लिया था,इसके बाद उन्‍होंने देखा कि तीन चार खिलाड़ी उनसे आगे निकल गए हैं,उन्‍होंने उनसे आगे निकलने की कोशिश की, मगर तब बहुत देर हो गई थी!भारत के हाथ से उसी समय मेडल भी फिसल गया था,यह बहुत नजदीकी रेस थी,शुरुआती चार स्‍थानों का फैसला फोटो फिनिश से हुआ,सेकंड के सौवे हिस्‍से से डेविस ने कॉफमैन को पीछे छोड़कर गोल्‍ड जीता,कई बार कॉफमैन दूसरे और स्‍पेंस तीसरे स्‍थान पर थे,मिल्‍खा सिंह 45.73 के साथ चौथे स्‍थान पर रहे,इसी के साथ भारत को कभी न भुला पाने दर्द मिल गया,!मिल्खा सिंह के दो बच्चे पुत्र जीव मिल्खा सिंह और पुत्री सोनिया सांवलका हैं।उनके द्वारा लिखी किताब “रेस ऑफ माई लाइफ़”जिसको लिखने में उनकी पुत्री सोनिया सांवलका ने भी सहयोग किया,जिस पर “भाग मिल्‍खा भाग” नाम से एक फ़िल्म भी बनी जो काफ़ी चर्चित रही।

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