58 वें शहीदी दिवस पर सीएम,टीएसआर से शहीद जेएसआर की आत्मा हुयी रुष्ट,ऑन कैमरा झूठ बोलते पकड़े गये विधायक दिलीप!

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58 वें शहीदी दिवस पर सीएम,टीएसआर से शहीद जेएसआर की आत्मा हुयी रुष्ट…ऑन कैमरा झूठ बोलते पकड़े गये विधायक दिलीप!

जागो ब्यूरो एक्सक्लूसिव:

1962 भारत चीन युध्द के हीरो,”हीरो ऑफ नेफा”300 से ज्यादा चीनी सैनिकों को अकेले मार डालने वाले योद्धा,”72 आवर्स” बैटल हीरो,शहीद जसवन्त सिंह रावत का कल 17 नवम्बर को 58 वां शहीदी दिवस था,इस अवसर पर उनके पैतृक गाँव बाड्यूं ,बीरोंखाल में 15 से 17 नवंबर तक बॉलीबाल प्रतियोगिता ,सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता और मेले के अन्तिम दिन कल 17 नवम्बर को उनके शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया,सुबह उनके गाँव से बाबा जसवन्त की डोली विशाल जुलूस के रूप में बाबा जसवन्त का जयघोष करते हुये रवाना हुयी, इससे पहले गाँव मे एक स्थानीय महिला जिन पर बाबा की आत्मा प्रकट होती है ने 17 दिसम्बर 2017 को मुख्यमंत्री टीएसआर द्वारा गाँव के नीचे स्थित दुनाऊ लघु जल विधुत परियोजना का लोकार्पण शहीद के नाम पर न करते हुये किसी अन्य के नाम पर करने पर सीएम त्रिवेन्द्र रावत पर अपना रोष प्रकट किया और त्रिवेन्द्र के कदम इस क्षेत्र में न पड़ने की बद्दुआ दी,कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नहीं पहुँचे और स्थानीय विधायक दिलीप रावत ने शहीद के गाँव न पहुंचते हुये सीधे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना बेहतर समझा,शहीद के परिजन और स्थानीय लोगों की प्रमुख माँग दुनाऊ जल विद्युत परियोजना को शहीद के नाम पर करने और शहीद के नाम स्मारक के नाम पर लगाये गये पत्थर ,जिसको सड़क किनारे बहुत ही अपमानजनक ढंग से स्थापित किया गया है, के बारे में “जागो उत्तराखण्ड” के तीखे सवालों से विधायक दिलीप रावत बौखला गये और झूठ बोलते हुये ऑन कैमरा पकड़े गये कि सीएम त्रिवेन्द्र रावत को कार्यक्रम में आमन्त्रित ही नहीं किया गया था!कार्यक्रम के आयोजक “हीरो ऑफ नेफा” जेएसआर मेमोरियल ट्रस्ट के अधिकारियों ने यह कहकर  विधायक को झूठा साबित कर दिया कि सीएम त्रिवेन्द्र को कार्यक्रम में बाकायदा आमंत्रण दिया गया था,शहीद जसवन्त सिंह जो कि एक नेशनल ही नहीं एक अन्तराष्ट्रीय हीरो हैं ,जिनको जीवित मानते हुये सेना उन्हें आज भी इंक्रीमेंट,प्रमोशन और छुट्टियां देती है,अपने वीर सैनिक को सम्मान देने के लिये गढ़वाल राइफल अपने बैगपाइपर बैंड को शहीद के गाँव भेजती है,जिनके शौर्य की गाथा आज भी अरुणांचल प्रदेश की नूरानांग की पहाड़ियां गुनगुना रही हैं और उन्हें मन्दिर बनाकर देवता के रूप में वँहा पूजा जाता है,जिनका बलिदान देश के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र का हकदार होना चाहिये था!बड़ा सवाल ये कि महावीर चक्र विजेता ,अपने तरह के विश्व में अकेले योद्धा, बाबा जसवन्त का अपनी ही जन्मभूमि में ऐसा अपमान क्यों??

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