हार्मोनल असंतुलन पीसीओएस का मुख्य कारणः डा. सुजाता संजय

0
86

-ज्यादा तनाव से भी किशोरियाँ हो रही पीसीओडी का शिकार
-विभिन्न राज्यों से 400 नर्सों व किशोरियों ने आॅनलाइन वेविनार मंे भाग लिया

देहरादून । संजय आॅर्थोपीड़िक,स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर, जाखन, देहरादून द्वारा आयोजित एक दिवसीय आॅनलाइन वेविनार में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित डाॅ0 सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा ने किशोरियों एवं महिलाओं को पाॅलीसिस्टिक ओवरीयन सिंड्रोम पीसीओएस की बढ़ती हुई समस्याओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी जिससे की युवतियाॅ इस बढ़ती हुई समस्या से निजात पा सके। इस जन-जागरूकता व्याख्यान में उत्तरप्रदेश एउत्तराखण्ड व पंजाब से 400 से अधिक मेडिकल, नर्सिंग छात्रों व किशोरियों ने भाग लिया।
इस समस्या से किशोरियों को निजात दिलाने हेतु संजय आॅर्थोपीड़िक,स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर व  सेवा एन.जी.ओ. ने एक जागरूकता अभियान चलाया है। सोसाइटी का प्रमुख उद्देश्य यह है कि किशोरियों एवं महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करवाना है। डाॅ0 सुजाता संजय ने कहा कि हार्मोनल असंतुलन पीसीओएस का एक मुख्य कारण है। आजकल लड़कियों में छोटी सी ही उम्र से पीसीओएस यानी की पोलिसिस्टिक ओवेरीयन सिंड्रोम की समस्या देखने को मिल रही है। चिंता की बात यह है कि कई सालों पहले यह बीमारी केवल 30 के उपर की महिलाओं में ही आम होती थी, लेकिन आज इसका उल्टा ही देखने को मिल रहा है। डाॅक्टरों के अनुसार यह गड़बड़ी पिछले 10 से 15 सालों में दोगुनी हो गई है। डाॅ0 सुजाता संजय ने बताया कि जब सेक्स हार्मोन में असंुतलन पैदा हो जाती है। हार्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है। अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है तो न केवल ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि यह आगे चलकर कैंसर का रूप भी ले लेती है। दरअसल महिलाओं और पुरूषों दोनों के शरीरों में प्रजनन संबंधी हार्मोन बनते हैं। एंडोजेंस हार्मोन पुरूषों के शरीर में भी बनते हैं, लेकिन पीसीओएस की समस्या से ग्रस्त महिलाओं के अंडाशय में हार्मोन सामान्य मात्रा से अधिक बनते हैं। यह स्थिति सचमुच में घातक साबित होती है। ये सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होते है, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है जो अंडाशय में ये सिस्ट एकत्र होते रहते हैं और इनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। यदि मरीजों को कजरवेटिव इलाज जैसे कि वजन घटाना, हार्मोनल दवाईयों के इस्तेमाल से भी यदि बीमारी ठीक नहीं होती तो ऐसे में इन मरीजों को लैपरोस्कोपिक सर्जरी से प्रभावित सिस्ट को निकाला जा सकता है। अन्ततः डाॅ0 सुजाता संजय ने यह कहा कि लड़कियों को अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चिकनाई रहित एवं जंक फुड का सेंवन कम करना चाहिए। हरी सब्जियां और फल नियमित रूप से खाना चाहिए। टीनएजर्स को क्रैश डाइटिंग, लेट नाइट पार्टी, ंिड्रकिंग और स्मोकिंग से बचना चाहिए। एक स्वस्थ जीवनशैली को बनाऐ रखने के लिए आप चिकित्सक या आहार विशेषज्ञ से भी परामर्श ले सकते हैं। सही आहार, नियमित व्यायाम और लाइफस्टइल में सुधार कर के इस समस्या को रोका जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here