इनोवेटिव प्रयासों से बढायें उत्पादक समूहों की आमदनीः जिलाधिकारी

0
127
????????????????????????????????????
देहरादून । ‘उन्नत पशुधन, उत्पाद विविधता, बेहतर मार्केटिंग तथा ब्रीड व सीड इम्पू्रवमेंट जैसे इनोवेटिव प्रयासों से बढायें उत्पादक समूहों की आमदनी-जिलाधिकारी ’’कलेक्टेेªट सभागार में जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना  की बैठक में जिलाधिकारी ने उप प्रभागीय परियोजना प्रबन्धक आईएलएसपी कालसी को निर्देशित किया कि परियोजनाओं से जुड़े उत्पादक समूह, आजीविका संघों और सहकारिताओं को रेखीय विभाग कृषि, उद्यान, उद्योग, समाज कल्याण, पशुपालन, भेड़ एवं ऊन बोर्ड, आॅगेनिक बोर्ड आदि के साथ अभिसरण (कन्वर्जेन्स) करते हुए किसानों-कास्तकारों को आधिकतम लाभ दिलवायें।
उन्होंने कहा कि ग्रोथ सेन्टर में स्थानीय कच्चे माल से उत्पाद तैयार करने से पूर्व उत्पाद की प्रतिस्पद्र्धा, स्थानीय तथा आसपास के मार्केट में उसकी डिमाण्ड और लागत के अनुसार आउटकम इत्यादि को ध्यान में रखकर उत्पाद तैयार करें साथ ही उत्पाद की बेहतर गे्रडिंग, सर्टिंग, डिजाईनिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग और वेल्यू एडिशन करते हुए उसका बेहतर मूल्य हासिल करें तथा उत्पाद में विविधता रखें एवं  नई किस्में विकसित करें। उन्होंने कहा कि उत्पादन बढाना उतना महत्वपूर्ण नही जितना की उत्पाद का सही दाम हासिल करना। टमाटर, मटर, आलू, सब्जी इत्यादि जिनके मार्केट भाव में अनियमितता व अनिश्चितता रहती है उनके लिए कोल्ड स्टोरेज बनवायें ताकि मार्केट की मांग के अनुसार किसान अपना उत्पाद बेच सकें तथा बेहतर मूल्य हासिल हो सके और मार्केट में 12 माह इनकी  बराबर आपूर्ति भी बनी रहे।
जिलाधिकारी ने कहा कि चकराता और कालसी विकासखण्ड में बहुत सी चिजों का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है, जरूरत है तो बस वहां के हर उत्पाद का सेपरेट नामकरण कर उसकी ब्राण्ड डेवलप करने की ताकि यहां के आर्गेनिक और पौष्टिकता से भरपूर उत्पादों की लोगों के बीच गहरी पैठ बनाई जा सके। उन्हेांने कहा कि पूर्वोत्तर तथा जम्मू और कश्मीर में होने वाले उत्पाद को भी यहां ट्राई करें, क्योंकि यहां कि जलवायु में काफी समानता है। ग्रोथ सेन्टर में सहकारिताओं और आजीविका समूहों के माध्यम से स्थानीय चिजों को फूडप्रोसेसिंग और छोटे-छोटे प्लांट लगवाकर ऐसे उत्पाद तैयार करें जिनकी मार्केट में और लोकल स्तर पर बहुत मांग रहती है। उदाहरण के तौर पर नींबू, अदरक, करौंदा, सेब, चुलु, टमाटर से अचार, जैम, मुरब्बा, जूस, तेल इत्यादि तैयार करके उसकी बेहतर पैकेजिंग व मार्केटिंग करते हुए स्थानीय लोगों की आमदनी बढायें।
जिलाधिकारी ने चकराता और कालसी ब्लाक में कृषि-उद्यान विभाग के समन्वय से सीड बैंक स्थापित करने के उप परियोजना प्रबन्धक को निर्देश देते हुए कहा कि क्षेत्र में बीज की बहुत डिमाण्ड रहती है इसी के चलते बीज विक्रय को भी आय का जरिया बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सहसपुर व विकासनगर ब्लाक में मावा , मिल्क , केण्डी, बेकरी, आर्गेनिक बासमती उत्पादन तथा, मुर्रा भैंस पालन हेतु लोगों को प्रेरित करते हएु लोगों की आजीविका सुरक्षित की जा सकती है। उन्होंने पशुपालन व डेयरी विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना से डेयरी उद्योग का कन्वर्जेन्स करें। कहा कि लोगों को गाय, भैंस, बकरी की उन्नत और अधिक दूध देने वाली नस्लों को पालने को इस अवसर पर बैठकमें मुख्य विकास अधिकारी नितिका खण्डेलवाल, उप परियोजना प्रबन्धक आई.एल.एस.पी कालसी बी.के भट्ट, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डाॅ एस.वी पाण्डेय, मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी, मुख्य उद्यान अधिकारी डाॅ मीनाक्षी जोशी, , उप परियोजना प्रबन्धक डीआरडीए विक्रम सिंह सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here