ऋषिकेश चंद्रभागा पुल से गरूड़चट्टी पुल तक रोज सुबह निराश्रित पशु तकते हैं जगदीश भट्ट की राह..

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ऋषिकेश चंद्रभागा पुल से गरूड़चट्टी पुल तक रोज सुबह निराश्रित पशु तकते हैं जगदीश भट्ट की राह..
भगवान सिंह,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

जहां आज पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के आगे घरों मे कैद होने को मजबूर है और सरकार द्वारा निराश्रित व जरुरतमंद लोगों के लिये तरह तरह की सुविधायें प्रदान की जा रही है,कि एक भी परिवार भूखा न सोये और हर निराश्रित परिवार का चूल्हा जलता रहे,वहीं खानाबदोश जीवन यापन करने को मजबूर इंसानों के लिये भी कई सामाजिक-राजनीतिक व अन्य प्रकार के संगठनों से जुड़े लोग पके पकाये भोजन की व्यवस्था कर उनके पेट की भूख मिटा रहे हैं,लेकिन इस लॉकडाउन का यदि सबसे ज्यादा असर पडा है तो वो हैं,खानाबदोश की तरह विचरण करने वाले लावारिस पशुओं पर, होटल,ढाबे व सडक किनारे रेड़ी ठेलियों के बंद होने से जो पहले जूठन और होटलों के बच्चे खुच्चे खाने से अपने निवाले की पूर्ति करते थे,वो बेजुबान आज दर दर भटकने को मजबूर हैं,इन बेजुबान पशुओं की सुध ली है पशु प्रेमी सामाजिक कार्यकर्ता यमकेश्वर पौडी गढवाल के बूंगा गांव निवासी जगदीश भट्ट जी ने जो हर रोज सैकडों पशुओं को हरा चारा,लावारिस कुत्तों को प्रोटीन युक्त डॉग फ़ूड और सडक किनारे लंगूर व बंदरो को भरपूर मात्रा में संतरे,केले और ब्रेड का वितरण कर अपने मानव धर्म का परिचय देकर देव भूमि को गौरवान्वित कर रहे हैं,उनके द्वारा हर रोज ऋषिकेश चंद्रभागा पुल से शुरु होकर, चौदहबीघा, ढालवाला,कैलाश गेट मुनि की रेती, रामझूला, शिवानंद आश्रम,लक्ष्मण झूला, तपोवन ब्रहमपुरी,निरगड्डू और गरुड चट्टी तक लावारिस पशुओं की नित सेवा की जा रही है,भट्ट जी के द्वारा पशुओं के लिये जगह जगह पानी के टब लगाये गये हैं और देखने मे आया है,जो पशु पहले काफी कमजोर थे,भट्ट जी के द्वारा हर रोज भर पेट चारा खिलाने के बाद काफी तंदुरस्त भी नजर आने लगे हैं,भट्ट जी के भतीजे पूर्व सैनिक क्षेत्र पंचायत सदस्य बूंगा सुदेश भट्ट जो रोज सुबह उनके साथ पशु सेवा को निकलते हैं,के अनुसार उनके चाचा जी की ओर से ये पशु सेवा पूरे लॉकडाउन में निरंतर जारी रहेगी,लेकिन हैरानी है कि जहां एक ओर कई सामाजिक-राजनीतिक संगठन और समाज सेवी कोरोना महामारी में मानव सेवा के लिये बढ चढकर आगे आ रहे हैं,वहीं पशु सेवा के नाम पर बनी एक भी संस्था कंही नजर नहीं आ रही हैं सुदेश भट्ट ने बताया कि उन्हें अपने चाचा जी के साथ पशु सेवा करते हुये एक महीने से ज्यादा हो गया है, पशु सेवा हर रोज सुबह छःबजे से शुरु होकर दिन के बारह बजे समाप्त होती है,लेकिन तब से अब तक जगदीश भट्ट जी के अलावा कोई भी पशु सेवा संगठन इस इलाक़े में कार्य करते हुये नजर नहीं आया,जगदीश भट्ट जी के द्वारा ये पशु सेवा बिना किसी संस्था के सहयोग के निजि स्तर पर की जा रही है, बेशक जगदीश भट्ट जी के द्वारा चंद्र भागा से गरुड चट्टी के बीच घूम रहे सैकडों पशुओं की भूख मिटायी जा रही है,लेकिन देव भूमि ऋषिकेश के ही मुख्य बाजार से लेकर नटराज चौक,कोयल घाटी,काली की ढाल गीता नगर,आईडीपीएल,श्यामपुर की गलियों मे घूम रहे सैकडौं लावारिस पशुओं के लिये ये नाकाफी है, सुदेश भट्ट ने कहा कि जिस तरह सरकार ने मनुष्य का जीवन बचाने के लिये अपने खाद्यान्न भण्डारों का मुँह खोला है,उसी तरह पशुओं के जीवन को बचाने के लिये भी सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा लावारिस पशुओं के लिये चारे की विशेष व्यवस्था की जानी चाहिये, प्रदेश भर मे हर रोज भूख से सैकडों लावारिस पशु काल के गाल मे समा रहे हैं,हिन्दू धर्म के अस्तित्व के प्रतीक गौ वंश की रक्षा के लिये वर्तमान में समस्त गौ सेवा संगठन, पशु सेवा संस्थानों व आश्रमों को बढ चढकर हिस्सा लेकर इस नेक कार्य मे अपने अपने स्तर पर प्रयास करने की नितान्त आवश्यकता है,आख़िर यही तो मानव द्वारा पशुओं पर किये गये बेहिसाब अत्याचार का प्रायश्चित का समय है!

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