इस सरकारी स्कूल में अंग्रेजी माध्यम के निजि स्कूलों से नाम कटवा के एडमिशन ले रहे बच्चे!…
भगवान सिंह, जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
सरकारी स्कूलों की बदहाली और इसी वज़ह से अभिवावकों की अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में न पढ़ाने की ख़बर आपने ख़ूब पढ़ी और सुनी होगी,मगर आज हम आपको एक ऐसे विद्यालय की ख़बर पेश कर रहे हैं जो इन नकारात्मक खबरों से उलट हिम्मत बढ़ाने वाली है,यंहा बच्चे पास के प्राइवेट विद्यालयों से नाम कटवा कर एडमिशन ले रहे हैं! हुयी हैरानी आपको,यह विद्यालय पौड़ी-कोटद्वार रोड पर गुमखाल के पास द्वारीखाल ब्लॉक के अंतर्गत मॉडल प्राइमरी स्कूल कोटामंडा है
दरअसल इस स्कूल की प्रधानाध्यापिका श्रीमती आशा बूढाकोटी और विद्यालय के अन्य शिक्षकों गम्भीर सिंह,संजय डोबरियाल,धीरज सिंह,पुष्पा भट्ट,शालिनी आदि ने इस सरकारी विद्यालय को अपने व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसा रूप दे दिया है,कि यह प्राइवेट स्कूल जैसा लगता है,हालाँकि दूर से देखने पर इस विद्यालय का भवन ये आभास कराता है कि विद्यालय भूस्खलन की चपेट में है,लेकिन जब इस विद्यालय के भवन को नज़दीक से देखा तो नज़ारा कुछ अलग ही था,स्कूल की चारदीवारी से लेकर कक्षाओं की दीवारों को विभिन्न प्रकार के शिक्षाप्रद सन्देशों से सजाया गया है और दीवारों पर फलों,जानवरों और विभिन्न वस्तुओं का अँग्रेजी अनुवाद दिया गया है,जिसका फ़ायदा यह हुआ है कि बच्चे खाली समय में अंग्रेजी के इन शब्दों को कंठस्थ कर लेते हैं, इस विद्यालय के कक्षा एक के बच्चे भी अंग्रेजी में अपना परिचय और पोयम सुना कर ये सुखद आभाष कराते हैं
जैसे ये अंग्रेजी माध्यम के किसी निजि स्कूल के बच्चे हों, विद्यालय के सभी शिक्षक भी बोलचाल में बच्चों से अँग्रेजी में बात करने का प्रयास करते हैं, जिससे बच्चों में अँग्रेजी में बात करने का आत्मविश्वास निरन्तर बढ़ता है,पौड़ी जनपद के प्राथमिक स्कूलों में गढ़वाली भाषा का पाठ्यक्रम शुरू करना गढ़वाली भाषा और संस्कृति के उत्थान के के लिये महत्वपूर्ण कदम कहा जा सकता है,लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिये कि कम्पटीशन के इस युग में सरकारी स्कूल के बच्चों को अँग्रेजी भाषा का बढिया ज्ञान होना भी जरूरी है,जिससे वे अँग्रेजी माध्यम के निजि स्कूल के बच्चों का हर तरह से मुक़ाबला कर सकें,शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी इस तरह के रोल मॉडल विद्यालयों और अध्यापकों को सम्मान देकर प्रोत्साहित करना चाहिये,जिससे छात्र संख्या घटने से बंद होते सरकारी स्कूलों की ज्वलंत समस्या को बच्चों को अँग्रेजी की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर क़ाबू में किया जा सके।