भरसार उद्यान विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति में विश्वविद्यालय अधिनियम तथा अन्य नियम ताक पर!
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उद्यान एवं वन विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड भरसार में नियुक्त कुलपति मैथ्यू प्रसाद को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाये जाने के बाद,कुलाधिपति द्वारा राजभवन के पत्रांक संख्या 743/GS/Education/C13-2/2017 दिनाँक 8 अगस्त 2017 द्वारा प्रोफेसर सी. एम.शर्मा को प्रभारी कुलपति के पद पर तैनाती दी गयी है ,प्रोफेसर शर्मा रानीचौरी कॉलेज ऑफ़ फॉरेस्ट्री में डीन के पद पर नियुक्त थे और गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय से प्रतिनियुक्ति पर भरसार विश्वविद्यालय के अधीन इस कॉलेज में तैनात थे एवं भरसार विश्वविद्यालय के नियमित व स्थायी फैकल्टी नहीं थे,उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय के आर्डिनेंस-4(3)ख (7) के तहत दिखाई गयी है,जबकि विश्वविद्यालय का यह आर्डिनेंस साफ़ तौर पर कहता है कि महामहिम कुलाधिपति,विश्वविद्यालय के वरिष्ठम् डीन या डायरेक्टर्स में से,प्रभारी कुलपति की नियुक्ति छः माह के लिए कर सकते हैं(जिसको अगले छः माह तक बढ़ाया भी जा सकता है)लेकिन क्योंकि प्रोफेसर शर्मा भरसार विश्वविद्यालय में गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय से प्रतिनियुक्ति पर होने कि वजह से न तो भरसार विश्वविद्यालय के नियमित फैकल्टी थे और न ही भरसार विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम डीन/डायरेक्टर या फैकल्टी के सदस्य ही थे,ऐसे में कुलाधिपति के स्तर से वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उद्यान एवं वन विश्वविद्यालय भरसार उत्तराखण्ड के आर्डिनेंस 2014 और विश्वविद्यालय के अधिनियम व सेवा नियमावली को क्यों और कैसे नजरअंदाज कर दिया गया?यह समझ से परे है,यँहा तक कि कुलाधिपति के अधीन अन्य राज्य विश्वविद्यालय दून विश्वविद्यालय और महामहिम राष्ट्रपति व मानव सँसाधन विकास मंत्रालय के अधीन हे.न.ब. गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय में भी विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम प्रोफेसर को नियमित कुलपति का कार्यकाल समाप्त होने पर, नए नियमित चयनित कुलपति की तैनाती तक विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के पद पर तैनाती दी गयी है,ऐसे में कुलाधिपति का यह निर्णय किसी के गले नहीं उतर रहा!