जनता इण्टर कॉलेज कमलपुर संगलाकोटी के बच्चे क्यों कर रहे आत्महत्या?..

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जनता इण्टर कॉलेज कमलपुर संगलाकोटी के बच्चे क्यों कर रहे आत्महत्या?..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

पौड़ी जनपद के पोखड़ा ब्लॉक के जनता इंटर कॉलेज कमलपुर संगलाकोटी में छात्र-छात्राओं के उत्पीड़न के लगातार मामले प्रकाश में आ रहे हैं, पिछले दिनों यहां के दसवीं कक्षा के एक छात्र ने स्कूल से नाम काटे जाने की वजह से आत्महत्या कर ली और अब स्कूल की बारहवीं की एक छात्रा संध्या बिष्ट का भी नाम काट दिया गया है, जिसकी वजह से यह बालिका सदमे में है,संध्या की माँ नहीं है और पिता मानसिक रूप से विकलांग है, ऐसे में उसकी बूढी गरीब दादी किसी ढंग से उसका और उसकी दूसरी छोटी बहन का भरण पोषण कर पढ़ाई लिखाई करवा रही है,आरोप है कि कमलपुर संगलाकोटी जनता इंटर कॉलेज में बच्चों की उपस्थिति को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्ती की जा रही है,आत्महत्या करने वाले दसवीं के छात्र को भी प्री बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया,जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली,उधर जब हम विद्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर संध्या के गाँव पहुँचे तो पता चला कि संध्या का निकटवर्ती अस्पताल से इलाज चल रहा है और वह लगातार दवा भी ले रही है, जब संध्या ने बीमारी के बारे में विद्यालय में जाकर अपनी मेडिकल रिपोर्ट के साथ प्रधानाध्यापक संजय रावत से संपर्क किया,तो उन्होंने संध्या और उसकी दादी की बात पर कोई भी ध्यान ना देते हुये,उसके मेडिकल कागज फेंक दिये,संध्या को पहले प्री बोर्ड और अब बोर्ड परीक्षा में भी नही बैठने दिया जा रहा है,ऐसे में उसकी दादी को चिंता है कि कहीं संध्या भी परेशान होकर कोई गलत कदम न उठा ले,एक तरफ सरकार”बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ‘का नारा देकर बेटियों को पढ़ाने का दावा करती है,वहीं पहाड़ की गरीब लड़कियों को पढ़ाई के अलावा घर के काम भी करने होते हैं,ऐसे में उपस्थिति कम होने पर संध्या जैसी बालिकाओं के नाम काट देना और उसे बोर्ड परीक्षा में भी न बैठने देना,विद्यालय के प्रधानाचार्य के संवेदनहीन रवैये को दर्शाता है,यह इलाका मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के गृहक्षेत्र का है, “जागो उत्तराखण्ड द्वारा जिला अधिकारी पौड़ी धीराज गर्ब्याल से उक्त बावत संपर्क करने पर उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल मुख्य शिक्षा अधिकारी को तलब करते हुये, विद्यालय के प्रधानाचार्य को अपने कार्यालय में बुलाया है, उनका भी मानना है कि किसी भी हालत में बच्चों का उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिये और बच्चों के साथ संवेदनशील व्यवहार होना चाहिये।

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