यमकेश्वर क्षेत्र में भालू की शक्ल के अज्ञात जंगली जानवर का आंतक,पिछले कुछ सालों में मार चुका है सैकड़ों मवेशी..
सुदीप कपरुवान,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
पौड़ी जनपद के यमकेश्वर क्षेत्र में पिछले तीन चार सालों से सर्दियों के समय एक अज्ञात जानवर द्वारा मवेशियों की गौशाला और छानियों को तोड़कर गौवंश और बकरियों को निवाला बनाया जा रहा था,यह जानवर अब तक सैकड़ों मवेशियों का शिकार कर चुका है, जिस कारण क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है,इसको लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है,हर साल जनवरी-फरवरी माह में यमकेश्वर क्षेत्र के कई गाँवों जैसे नीलंकठ, सिदुंड़ी,आमड़ी,कुमराणा,भेलडुंगा,खेड़ा,दलमोगी आदि गाँवों में इसके द्वारा मवेशियों को अपना निवाला बनाया जा रहा है,भालू जैसा दिखने वाला यह जानवर गौशाला का दरवाजा नहीं तोड़ता है, बल्कि ऊपर से छानी या छप्पर को फाड़कर ऊपर से ही मवेशी को खींच कर ले जा रहा है और कंधे से माँस उखाड़ कर खा रहा है,यह जानवर रात के समय ज्यादा आक्रामक है, जिसे स्थानीय लोगों ने “चरक” नाम भी दिया है,ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों के द्वारा एक दल बनाकर इसके ठिकानों का पता लगाने का प्रयास भी किया जा रहा है,स्थानीय युवा विपिन पेटवाल,क्षेत्र पंचायत सदस्य सुदेश भट्ट बूंगा,जिला पंचायत सदस्य भादसी क्रान्ति कपरूवान,गुमाल गांव जिला पंचायत सदस्य विनोद डबराल, सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह पयाल,सामाजिक कार्यकर्ता सी पी भट्ट,उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के प्रवक्ता शान्ति प्रसाद भट्ट, सामाजिक कार्यकर्ता उपेन्द्र पयाल,क्षेत्र पंचायत सदस्य जुलेडी हरदीप कैंतूरा,ग्रामसभा धमंदा प्रधान ध्यानपाल बिष्ट,सुनील बडोला,गब्बर राणा तथा यमकेश्वर के समस्त जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों ने क्षेत्रीय जनता के साथ मिलकर जल्द इस समस्या से छुटकारा न मिलने पर जन-आन्दोलन का मन बना लिया है,विपिन पेटवाल ने बताया है कि पिछले पाँच सालों से यह जानवर मवेशियों को अपना निवाला बना रहा है,लेकिन वन विभाग ग्रामीणों को इस समस्या से निज़ात दिलाने में विफ़ल रहा है,जिस कारण क्षेत्रीय लोगों में दहशत और वन विभाग के ख़िलाफ़ आक्रोश का माहौल बना हुआ है,विपिन पेटवाल ने बताया कि लालढांग रेंज के अधिकारियों को इसके बारे में दूरभाष पर जानकारी दी गयी है और उनसे इसके समाधान करने की माँग की है,लैंसडाउन वन प्रभाग के डीएफओ के साथ भी इस समस्या के समाधान निकालने के लिये जल्द ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और स्थानीय जनता की बैठक होनी निश्चित हुयी है।