अतिक्रमण और अवैध निर्माण की भेंट चढ़ता ऋषिपर्णा को पुनर्जीवित करने का सीएम त्रिवेन्द्र का ड्रीम प्रोजेक्ट..

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अतिक्रमण और अवैध निर्माण की भेंट चढ़ता ऋषिपर्णा को पुनर्जीवित करने का सीएम त्रिवेन्द्र का ड्रीम प्रोजेक्ट..

गौरव तिवारी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

देहरादून में रिस्पना नदी पूरी तरह से अतिक्रमण के जाल में जकड़ चुकी है,हालांकि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत यह बात करते हैं की रिस्पना नदी जिसे ऋषिपर्णा भी कहते हैं को पुनर्जीवित किया जायेगा और इसके लिये नदी किनारे कुछ इलाकों में वृक्षारोपण भी किया गया है,लेकिन अधिकतर स्थानों में रिस्पना नदी में मकानों का सीवर और वेस्ट पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे नदी में समा रहा है,ऐसे में यदि रिस्पना को अगर नदी कहा जाये तो यह अतिशयोक्ति ही होगी,क्योंकि यह पूरी तरह से नाले का रूप धारण कर चुकी है,फिर भी अगर मुख्यमंत्री कहते हैं कि इसे पुनर्जीवित किया जायेगा,तो उन्हें शुभकामनायें,लेकिन आज भी रिस्पना नदी को नेस्तानाबूत करने का अभियान जोरों पर है,दून विश्वविद्यालय के निकट रिस्पना नदी के किनारे अतिक्रमण और बहुमंजिले अवैध निर्माण जारी हैं,नदी में बाकायदा आरसीसी कॉलम और ब्लॉक बनाकर नदी की भूमि को कब्जाया जा रहा है और आवासीय बस्ती में व्यावसायिक निर्माण भी किया जा रहा है,इससे पूर्व भी इस इलाके में कई अवैध घरेलू और व्यवसायिक निर्माण किये जा चुके हैं,इनमें से कुछ बहुमंजिले निर्माण तो ऐसे हैं,जिसकी सीढियां इस तरह से बनायी गयी हैं कि वो बगल से गुज़र रही हाई टेंशन विद्युत लाइन को लगभग छू रही है,जिससे एक बड़ी दुर्घटना और जान -माल के नुकसान को भी सीधे तौर पर आमन्त्रण दिया जा रहा है! जब अवैध निर्माण कर रहे लोगों से निर्माण के बारे में जानने का प्रयास किया गया, तो उनका कहना था कि एमडीडीए ने उनका चालान किया हुआ है और कंपाउंडिंग की प्रक्रिया गतिमान है,लेकिन जिस जगह पर निर्माण जारी है वहां पर नाप भूमि का होना असंभव सा प्रतीत होता है,क्योंकि वह नदी का कैचमेंट एरिया है ,जब इस बारे में एमडीडीए के अभियंता से संपर्क किया गया तो उनका कहना था की ये अवैध निर्माणकारी चालान होने के बावजूद भी काम रोकने से बाज नहीं आते,ऐसे में लगता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करना जल्द ही दम तोड़ देगा,क्योंकि पुनर्जीवित करने के लिए सबसे पहले रिस्पना नदी के किनारे हो रहे अतिक्रमण व अवैध निर्माण को रोकना जरूरी है,जिससे नदी किनारे नदी के कैचमेंट एरिया में वृक्षारोपण कर नदी को पानी उपलब्ध करवाने वाले सोर्सेज को रिचार्ज किया जाय,नहीं तो रिस्पना नदी का रूप कभी भी धारण ही नहीं कर पायेगी,क्योंकि ना तो इसके किनारे अतिक्रमण व अवैध निर्माण को रोका जा रहा है और न ही घरेलू वेस्ट और सीवर को सीधे नदी में जाने से रोकने की कोई प्रभावी रणनीति लागू होते हुए दिखाई दे रही है,ऐसे में मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट आधे अधूरे दिवास्वप्न के रूप में ही खत्म हो जाये,ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा।

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