शिक्षक-गढ़वाली साहित्यकार संदीप रावत की गढ़वाली प्रार्थना “द्वी आखरों कु ज्ञान दे” स्कूलों में हो रही लोकप्रिय..

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शिक्षक-गढ़वाली साहित्यकार संदीप रावत की गढ़वाली प्रार्थना  “द्वी आखरों कु ज्ञान दे”
स्कूलों में हो रही लोकप्रिय..
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:

गढ़वाली भाषा के प्रचार-प्रसार और नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा से जोड़ने के अभियान के अन्तर्गत रा.इ.कॉ.धद्दी घण्डियाल ,बडियारगढ़ ,टिहरी गढ़वाल के छात्र-छात्राओं की सुन्दर प्रस्तुति गढ़वाली प्रार्थना, अब जीआईसी अगस्त्यमुनि जिला रुद्रप्रयाग में भी गायी जा रही है,इस प्रार्थना के गीतकार एवं कम्पोजर संदीप रावत ,शिक्षक , रा.इ.कॉ.धद्दी घण्डियाल बडियारगढ़ हैं | पिछले वर्ष से उनके स्कूल के बच्चों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में पूर्व में भी एक गढ़वाली प्रार्थना का  “तेरु ही शुभाशीष च हे जो कुछ बि पायि मिन” प्रार्थना सभा में गायन किया जा रहा है | जनकवि नरेन्द्र सिंह नेगी जी के पेज पर भी “तेरु ही शुभाशीष च हे जो कुछ बि पायि मिन” है और यू ट्यूब पर भी है ये लोकप्रिय गढ़वाली प्रार्थनाएं हैं |गढ़वाली को प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करना जहाँ सरकार का लोकभाषा को प्रोत्साहित करने की ओर एक सराहनीय कदम है ,वहीं अगर मूलतः रसायन विज्ञान के शिक्षक सन्दीप रावत द्वारा रचित यह गढ़वाली प्रार्थनाएं सभी स्कूलों में बजने लगे तो यह लोकभाषा गढ़वाली के उन्नयन की ओर एक और मजबूत कदम होगा।

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  1. हार्दिक धन्यवाद ” जागो उत्तराखण्ड “

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