देहरादून में आवासीय कॉलोनियों में चल रहे मेडिकल क्लीनिक बने मुसीबत का सबब..

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देहरादून में आवासीय कॉलोनियों में चल रहे मेडिकल क्लीनिक बने मुसीबत का सबब..

गौरव तिवारी,जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
देहरादून में बेहतर इलाज़ का दावा करने वाले मेडिकल क्लीनिक कुकुरमुत्तों की तरह उग आये हैँ, मानकों को ताक पर रख खुले ये क्लीनिक आवासीय कॉलोनियों में आवासीय भवनों में संचालित हैं, संकरी गलियों में खुले इन क्लीनिकों तक आपातकालीन परिस्थितियों में एम्बुलेंस और फायर  ब्रिगेड भी पहुंचना नामुमकिन है ,ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने किन कारणों से इन्हें चलाने का लाइसेंस दिया होगा?आसानी से समझा जा सकता है

लाइसेंस दिये जाने के पीछे इन क्लीनिकों द्वारा की जा रही मोटी कमाई का हिस्सा साफ़ तौर पर स्वास्थ्य विभाग और अन्य जिम्मेदार विभागों तक पहुंचता भी दिखायी दे रहा है,राजधानी के चकरौता रोड इलाके में ऐसा ही एक क्लीनिक “द आई क्लीनिक” के नाम से एक संकरी गली में संचालित है

जँहा आपातकालीन सेवा एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड तक नहीं पहुँच सकती,फिर भी स्वास्थ्य विभाग आँख बंद कर क्लीनिक को लाइसेंस दिये हुये है,वंही एमडीडीए भी आवासीय भवन में कमर्शियल एक्टिविटी किये जाने पर कोई कार्यवाही करने से बचता रहा है,स्थानीय लोगों के लिये यह क्लीनिक जी का जंजाल बना हुआ है,क्योंकि क्लीनिक में पार्किंग उपलब्ध ही नहीं है,ऐसे में क्लीनिक में आने वाले मरीज संकरी गली में ही गाड़ियां पार्क कर देते हैं, जिससे लोगों का अपने वाहन लेकर घर जाना भी मुश्किल हो गया है,इस बारे में जब “जागो उत्तराखण्ड” ने क्लीनिक के मालिक डॉ. आभास मेहरोत्रा से उनके क्लीनिक से स्थानीय लोगों को हो रही परेशानियों के बारे मे बात की,तो उनका कहना था कि वे सभी प्रकार की अनुमति लेने के बाद ही क्लीनिक चला रहे हैं, अब इस प्रकरण में “जागो उत्तराखण्ड” जल्द स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के समक्ष स्थानीय लोगों की परेशानी लेकर जायेगा, जिससे शहर में कुकुरमुत्तों की तरह उग आये  मेडिकल क्लीनिकों पर नकेल कसी जा सके।

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