उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं💐💐??
जागो ब्यूरो रिपोर्ट:
उत्तराखण्ड का उन्नीसवाँ राज्य स्थापना दिवस मानते हुये उत्तराखण्ड के पहाड़ का जनमानस ठगा सा महसूस कर रहा है,अठारह साल पहले जिस पहाड़ी राज्य की अवधारणा को लेकर उत्तराखण्ड,उत्तरप्रदेश से अलग राज्य स्थापित किया गया,उस मूल भावना की तो राजनेताओं द्वारा हत्या की जा चुकी है,मुद्दा ये था कि उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठकर पहाड़ की परिस्थितियों का सही तरह आँकलन कर न तो योजनाएं बन रहीं हैं और न पहाड़ी क्षेत्र में लागू हो पा रही है
इस भावना को लेकर उत्तराँचल नाम से राज्य अस्तिव में आया,जिसका नाम बदलकर बाद में उत्तराखण्ड कर दिया गया,लेकिन राज्य के साथ पहला छल राजधानी के नाम पर ही हो गया,जब उत्तराखण्ड राज्य के शहीदों और मूलआन्दोलनकारियों की राजधानी पहाड़ी परिवेश में गैरसैंण राजधानी बनाने की इच्छा के विपरीत देहरादून राजधानी बना दी गयी,यंही पहाड़ के विकास की अवधारणा पर बने पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के निर्माण की मूल भावना पर ही कुठाराघात हो गया, उत्तराखण्ड के जागरूक जनमानस के दवाब के कारण, राजनेताओं ने गैरसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण शुरू जरूर कराया,लेक़िन उनकी दिली मंशा कभी भी न रही कि देहरादून के आराम को छोड़ ठेठ पहाड़ी परिवेश गैरसैंण में विधानसभा संचालित हो,इसी वज़ह से गैरसैंण में एक ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित कर उत्तराखण्ड के राजनेता पिकनिक मना कर लौट आते हैं,आज अपना उन्नीसवां राज्य स्थापना दिवस मनाते हुये उत्तराखण्ड देहरादून -हल्द्वानी समेत कुछ एक मैदानी इलाक़े का प्रदेश रह गया है,आर्थिक रूप से सक्षम लोग पहाड़ से पलायन कर इन्ही इलाकों में बस गये हैं,पहाड़ो में ज्यादातर वे ही लोग रह गये हैं जो आर्थिक रूप से ज़्यादा सम्पन्न नहीं हैं, गाँव में बसने वाले अपने इन माताओं,बहनों,बुज़ुर्गों और भाइयों को हमने इलाज के अभाव में या गुलदार-भालू के द्वारा बेमौत मरने और जँगली सुवरों और बंदरो के आतंक से अपने खेती को उजड़ते देखने को छोड़ दिया है,अगर ये जश्न मनाने का विषय है तो आप सभी को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं😢
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