Corruption in Education Department Exposed..AD Education Mahaveer S. Bisht’s conversation with Chief Editor Jago Uttarakhand Ashutosh Negi…

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लेन-देन इनके लिये खेल..पौड़ी के शिक्षा विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों का मेल…
(सलग्न भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि करता अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक गढ़वाल मण्डल  महावीर सिंह बिष्ट का “जागो  उत्तराखण्ड” सम्पादक  आशुतोष नेगी के साथ वार्तालाप) 
पौड़ी जनपद के शिक्षा विभाग के सीईओ मदन सिंह रावत और डीईओ माध्यमिक हरेराम यादव के भ्रष्टाचार और नियुक्ति व अनुमोदन के लिये पैसे लेते हुए स्टिंग वीडियो को बनाने वाले और कोई नहीं बल्कि पौड़ी जनपद के भाजपा मण्डल अध्यक्ष अनिल नेगी हैं, अनिल नेगी,उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोटागढ़,कल्जीखाल पौड़ी गढ़वाल के प्रबन्धक हैं,दरअसल पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह  रावत ,कोटागढ़ में विज्ञापित व्यायाम शिक्षक के पद पर अपने भाई सुनील रावत की नियुक्ति चाहते थे ,सुनील का नाम इंटरव्यू  के लिये चयनित टॉप सेवन में चौथे नम्बर पर था,रावत चाहते थे कि तीनों एक्सपर्ट,प्रबन्धक और प्रधानाचार्य सभी उनके भाई को पाँच-पाँच नम्बर दें और टॉप सेवन में नम्बर एक पर मौजूद अभ्यर्थी को कम नम्बर दिये जायें,जिससे एक नम्बर  के बजाय चौथे  नम्बर  का अभ्यर्थी, सीईओ का भाई सुनील नम्बर एक पर आ जाये और उसका चयन हो जाये,2016 में उक्त पद विज्ञापित हुआ,सीईओ रावत ने अपने भाई की नियुक्ति हेतु प्रबन्धक अनिल नेगी पर दवाब बनाना शुरू कर दिया,यही वह समय था जब प्रबन्धक अनिल नेगी अपना दुखड़ा लेकर “जागो उत्तराखण्ड” के पास पहुंचे और “जागो उत्तराखण्ड” द्वारा प्रबन्धक अनिल नेगी को भ्रष्टाचार के वीडियो साक्ष्य तैयार करने की राय दी गयी,सीईओ रावत द्वारा भाई की नियुक्ति हेतु प्रबन्धक अनिल नेगी पर दबाव बनाने के साक्ष्य स्टिंग वीडियो में भी देखने को मिलते हैं,जिसमें सीईओ रावत यह कहते हुये दिखाई देते हैं “बोल दो सीईओ के भाई का होना है” यह समय 2017 चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले का था,चुनाव के कारण उक्त साक्षात्कार टल गया,अब जाकर 21 जून 2018 को फ़िर उक्त साक्षात्कार लगा,सीईओ रावत ने अपने भाई की नियुक्ति हेतु  प्रबन्धक पर लगातार इतना ज्यादा मानसिक दबाब बनाया कि प्रबन्धक को साक्षात्कार के दिन जिला अस्पताल पौड़ी में भर्ती होना पड़ा,जिस वज़ह से साक्षात्कार को रद्द  करना पड़ा,इस पर भी सीईओ रावत अपनी जिद पर अड़े रहे, एक बार फ़िर 6 अगस्त को उसी पद का साक्षात्कार तय हुआ,लेकिन शासन द्वारा निरस्तीकरण होने के कारण  साक्षात्कार सम्पन्न नहीं हो पाया,लेकिन सीईओ रावत का भात्रप्रेम कम नहीं हुआ और अंततः “जागो उत्तराखण्ड” ने पूरे  प्रकरण का खुलासा कर डाला,वीडियो में डीईओ माध्यमिक हरेराम यादव  भी पैसा लेते हुए नजर आ रहे हैं,डीईओ हरेराम ने ये पैसा,सीईओ रावत के इशारे पर कोटागढ़ में अँग्रेजी के अध्यापक की नियुक्ति के अनुमोदन के सिलसिले में लिया,जिसकी चर्चा करते हुये सीईओ रावत और प्रबन्धक अनिल नेगी को स्टिंग वीडियो में भी साफ़ देखा- सुना जा सकता है,उधर एक अन्य स्टिंग वीडियो में अशासकीय विद्यालयों के पटल सहायक दिनेश गैरोला भी सीईओ रावत के इशारे पर पैसा लेते हुये नजर आ रहे हैं,जिससे साबित होता है कि सारे प्रकरण के तार आपस में जुड़े हैं “जागो उत्तराखण्ड” ने भ्रष्टाचार के इन स्टिंग वीडियो को जारी करने से पहले सीईओ रावत,डीईओ हरेराम यादव से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया,तो वे इसे ब्लैकमेल करना बता रहे हैं,उधर “जागो उत्तराखण्ड”ने ये स्टिंग वीडियो अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक गढ़वाल महावीर सिंह बिष्ट को भी दिखाये,जिसके बाद उन्होंने “जागो उत्तराखण्ड”को बताया कि सीईओ रावत ने उन्हें बताया है कि उन्होंने अपने भाई की नियुक्ति के लिये प्रबन्धक को पैसे दिये हैं,जो अब प्रबन्धक वापस भी नहीं कर रहा है और अब उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है ,हैरानी है कि अपर निदेशक बिष्ट ने सीईओ रावत को पैसे के लेन-देन की बात पर कड़ी फटकार लगाने की जरूरत नहीं समझी,वंही वे बातचीत में मामले को मैनेज करने की बात करते हुऐ भी सुने जा सकते हैं, ये अपनी तरह का अनोखा मामला है,जिसमें जनपद के शिक्षा विभाग का मुख्य शिक्षा अधिकारी अपने मण्डलीय अधिकारी को अपने भाई की नियुक्ति हेतु प्रबन्धक को पैसे दिए जाने की बात करता है और मण्डलीय अधिकारी भी बड़े ह्ल्के में चाव से उसे सुन लेता है, समझ यही आता है कि शिक्षा विभाग पूरी तरह से आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और पैसा लेना देना इनके  दैनिक क्रियाकलाप का हिस्सा है,जिस वजह से शिक्षा विभाग के मण्डलीय अधिकारी भी इन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करने के बजाय,इतने गम्भीर प्रकरण को भी बेहद  सरल तरीक़े से ले रहे हैं,सीईओ मदन सिंह  रावत और अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक  महावीर सिंह बिष्ट  ने अपने रिकार्डेड  वीडियो व ऑडियो वक्तव्यों में अशासकीय विद्यालय प्रबन्धक एसोसिएशन के प्रदेश सचिव विमल नेगी, जो की पौड़ी के जखेटी इण्टर कॉलेज के प्रबन्धक भी हैं को इस स्टिंग का सूत्रधार बताते हुये ब्लैकमेलर की संज्ञा दी है,तो डीईओ हरेराम यादव प्रबन्धक अनिल नेगी को छः हजार रुपये उधार देने की बात कह रहे है,लेकिन स्टिंग में दो हजार रुपये के तीन नहीं कई नोट गिनते और लेते हुये देखे  जा सकते हैं ,यादव अब प्रबन्धक अनिल नेगी पर ब्लैकमेल  किये जाने  का आरोप लगा रहे हैं,उधर सीईओ रावत मीडिया को दिये गये वक्तव्य में पैसे के लेन देन की जानकारी होने से ही इनकार कर रहे हैं ,जबकि स्टिंग में देखा जा सकता है कि  लेन-देन सीईओ के केबिन में ही हो रहा है,अब आगे देखना है यह है कि इन आरोप प्रत्यारोपों के बीच स्टिंग में नंगे हुये शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर सरकार कब तक कार्यवाही कर ज़ीरो टॉलरेन्स का स्लोगन  प्रमाणित करती  है,क्योंकि यह मामला टॉलरेन्स की सारी हदें पार कर चुका है

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